एक समय की बात थी जब इंसान कभी भी कपडे पहनता ही नहीं था ,और आज लोग कपड़ो के नाम पर क्या नहीं पहनते ,इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो उर्फी जावेद ही हैं ,लगता हैं वो आदि मानवो से प्रेरित हैं ,क्योकि एक समय था जब इंसान यानि हमारे पूर्वज कपड़े पहनते ही नहीं थे। देखो भई उर्फी जावेद कितनी संस्कारी हैं ,वो आज भी हमारे पूर्वजों के नक्शो कदम पर चल रही हैं। भला आजकल ऐसा कौनसा इंसान है जो अपने बड़ो की सारी बात माने। खैर छोड़ो उर्फी जावेद की तो बात ही अलग हैं। उन्हें क्या फर्क पड़ता हैं। कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं और क्या कहते हैं। आदि मानव से प्रेरित उर्फी की बात बाद में करेंगे। बल्कि आज मैं आपको कुछ ऐसा बताने जा रही हूँ जो आपको हैरान कर देगा ?
90 सालों से परंपरा का पालन
आज मैं ऐसे गांव के बारे में में बताऊगी जहाँ आज भी लोग 90 सालों से अजीब परंपरा का पालन कर रहे हैं। इस जगह पर लोग कई सालों से बिना कपड़ों के ही रह रहे हैं। आपको बता दें कि सिर्फ बड़े उम्र के लोग ही नहीं बल्कि छोटे बच्चे भी बिना कपड़ों के ही रहते हैं। यहां पर रहने वाले लोग 90 सालों से ज्यादा अपना जीवन ऐसे ही व्यतीत कर चुके हैं। जी बिलकुल सही सुना आज के समय में ये लोग बिना कपड़ो के रहते हैं। जहा हम इन कपड़ो पर हजारो खर्च करते हैं ,वही ये लोग कपड़े पहनते ही नहीं। जहा ये लोग रहते हैं वो गांव एक सीक्रेट गांव की तरह भी माना जाता है जिसका नाम स्पीलप्लाट्ज है,ये गाँव ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर में स्थित है।
भगवान ने बिना कपड़ों के भेजा
चार्ल्स मैकास्की ने साल 1929 में इस समुदाय की स्थापना की थी। उनका मानना था कि प्रकृति और शहर में रहने वाले लोगों के बीच कोई अंतर नहीं होता है साथ ही उन्होंने बाकि समुदाय के लोगों को कपड़े नहीं पहनने पर जोर दिया था। यही नहीं इस जगह के लोगों का भी यह मानना है कि भगवान ने बिना कपड़ों के ही लोगों को भेजा है ऐसे में ये दिखावटी कपड़ो को नहीं पहनना चाहिए। मन ये लोग कपडे नहीं पहनते पर इसका ये मतलब नहीं की ये गरीब हैं और इनके पास कोई सुविधा नहीं हैं। बल्कि यहां के लोगों के पास बड़े मकान, स्वीमिंग पूल , बार आदि कई लग्जरी सुविधाएं भी हैं। इस गांव में दो बेडरूम वाले बंगले भी हैं जिनकी कीमत 78.6 लाख या इससे भी अधिक है।