उमेशपाल किडनैपिंग केस में MP-MLA कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। अतीक सहित दिनेश पासी और शौलत हनीफ को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वहीं तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया गया है।
करीब डेढ़ दशक बाद आज अतीक को उसके किए गुनाह की सज़ा मिली है। उमेशपाल अपहरण कांड में अतीक समेत 3 लोगों को दोषी करार दिया गया। आपको बता अतीक पर IPC की धारा 147, 148, 149, 323, 341, 504 506, 342, 364, 120बी के तहत मुकद्दमा दर्ज हुआ था। इसमें अतीक समेत 3 लोगों को आज दोषी करार दिया गया।
नैनी जेल में बीती अतीक की रात
बता दें कि माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सोमवार को प्रयागराज लाया गया। दोनों माफिया ब्रदर्स की रात नैनी जेल में गुजरी। आज दोनों आरोपियों की कोर्ट में पेशी हुई लेकिन अब सवाल ये उठता है कि उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी अतीक का कोर्ट में पेश होना जरूरी क्यों था? उन्हें पेशी के लिए सबरमती से प्रयागराज क्यों लाया गया? मामले की सुनवाई वीडियों कान्फ्रेंसिंग के जरिए क्यों नहीं की गई?
अतीक को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए क्यों नहीं दी गई सजा
बता दें कि दिसंबर महीने में मुख्तार अंसारी को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सजा सुनाई गई थी। तो सवाल ये उठ रहा है कि माफिया अतीक को भी मुख्तार की तरह वीडियो कान्फ्रेंसिंग पर सजा क्यों नहीं सुनाई गई। माफिया अतीक गुजरात के साबरमती जेल में चार साल से बंद था। इसकी वजह से उमेश पाल अपहरण केस में वह कोर्ट में पेश नहीं हो सका था।
क्यों जरूरी थी माफिया की कोर्ट में पेशी
बता दें कि एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के मुताबिक जब अदालत किसी मामले में आरोप तय कर देती है तो दोषी पाए गए अपराधियों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ता है। ताकि सजा सुनाए जाने से पहले उनका पक्ष भी सामने रखा जा सके। इसी वजह से अतीक को गुजरात जेल से प्रयागराज लाकर एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश किया गया। वहीं मुख्तार के मामले में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी पहले हो चुकी थी। लेकिन पहले अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।