मणिपुर हिंसा को लेकर बवाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मामले के आरोपियों की गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो चुका है। इस मामले को लेकर सीबीआई ने कुल 6 एफआईआर दर्ज की थी। जिसके बाद 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ये गिरफ्तारियां अलग-अलग समय में हुई। आपको बता दें, महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने मामले को लेकर सीबीआई एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में जुट गई है।
सीबीआई को दी जांच की जिम्मेदारी
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने मामले में वीडियो वाले मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। हालांकि वायरल वीडियो मामले की जांच को सीबीआई ने औपचारिक तौर पर अपने हाथ में नहीं लिया है। इस मामले में मणिपुर पुलिस ने 8 लोगों को अरेस्ट किया था।
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं के वीडियो वाले मामले की जांच सीबीआई करेगी। जहां गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला से दाखिल हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर ट्रांसफर करने की अपील की। मणिपुर में भी दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद मणिपुर हिंसा का मामला फिर से चर्चा में आ गया। जहां मणिपुर के कांगकोपी जिले का है। इसी बीच ये वीडियो 4 मई का बताया जा रहा है। वीडियो में नजर आया था कि एक समुदाय के लोगों द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र किया और सड़क पर घुमाया गया। इस दौरान महिलाओं का यौन शोषण किया गया और रेप की बात का भी जिक्र भी किया गया है। जिसके बाद 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया।
मणिपुर हिंसा का क्या है मामला?
मणिपुर में हिंसा शुरु हुई 3 मई से, जब मैतई समाज और कुकी समुदाय के बीच विवाद हो गया। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला गया। इसी रैली में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा हो गई। शाम तक हालात बद से बद्दतर हो गए और राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। आपको बता दें, रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी।
मैतई समुदाय लंबे समय से एसटी के दर्जे की मांग कर रहे हैं। इसके बाद मणिपुर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा, इसके लिए अदालत ने चार हफ्ते का समय दिया। इसके बाद नागा और कुकी समाज भड़क गए।
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