नई दिल्ली। राजनैतिक पार्टीयों को चुनाव में चंदे के लिए मिलने वाली इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा की यह सूचना के अधिकारों का उल्लंघन है। मतदाता को यह अधिकार है कि उसे इस बात की जानकारी हो की किस पार्टी को कितना और किसने चंदा दिया है। कोर्ट ने इस बॉन्ड को अवैध करार देते हुए आगे से नए बॉन्ड की खरीद पर रोक लगा दी और एसबीआई को आदेश दिया है कि वो अब तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
सूचना के अधिकारों का उल्लंघन
CJI ने मामले में कोर्ट का फैसला सुनाते हुए कहा की नागरिकों यह जानने का पूरा अधिकार है कि राजनैतिक दलों के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है। यह सूचना के अधिकारों का उल्लंघन है। चुनावी बॉन्ड योजना गोपनीयता बनाए रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।
ये भी पढ़ें;राज्यसभा के लिए नामांकन की आखिरी तारीख आज, जानिए किस पार्टी ने किसे बनाया अपना उम्मीदवार
बॉन्ड के खिलाफ याचिका दायर की गई थी
कांग्रेस नेता जया ठाकुर, कम्युनिस्ट पार्टी और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) समेत चार लोगों ने चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। जिसके बाद दलीलों पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला, नीतिगत निर्णयों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता रखता है, खासकर आगामी संसदीय चुनावों के संदर्भ में।