नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के पापुमपारे स्थित राजीव गांधी विश्वविद्यालय (RGU) के छात्रों ने रविवार को बड़ी संख्या में इकठ्ठा हो विश्वविद्यालय परिसर में प्रतीकात्मक धरना दिया। छात्रों के विरोध का उद्देश्य लद्दाख के लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करना था, जो लद्दाख के लिए भारतीय संविधान की 6 वीं अनुसूची( 6th schedule of the constitution) में शामिल करने और राज्य का दर्जा की मांग कर रहें थे। छात्र लद्दाख को राज्य के सूची में शामिल किए जाने और अन्य अधिकारों की मांग कर रहे हैं।
6 वीं अनुसूची की मांग को लेकर प्रदर्शन
विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित धरना का आयोजन नॉर्थ ईस्ट ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NEHRO), अरुणाचल रेसिस्ट और आरजीयू छात्रों द्वारा किया गया था। इस छात्रों की मांग है कि भारतीय संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल करने और लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए यह आदिवासी समुदायों को विशेष अधिकार प्रदान करता है, और लद्दाख के लिए मजबूत पारिस्थितिक सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा छात्रों ने लोगों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर रोक को समाप्त करने, इंटरनेट प्रतिबंध को हटाने और सीआरपीसी की धारा 144 को रद्द करने की भी मांग की है।
लद्दाख के लेह में धारा 144 लागू
छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन को लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के लिए राज्य के दर्जे और 6वीं अनुसूची के लिए लड़ रहे कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने सच्चाई के लिए खड़े होने के लिए लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा लिखा कि आज इतने सारे शहरों में सच्चाई, लोकतंत्र और पर्यावरण के लिए खड़े होने के लिए लद्दाख के दोस्तों को धन्यवाद। हमने सीमाओं पर मार्च नहीं करने का फैसला किया, लेकिन हमारा लक्ष्य पूरा हो गया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि अगर राजनेता उन्हें अपना काम करने दें तो भारतीय सेना एलएसी पर घुसपैठियों से निपटने में काफी सक्षम है। ज्ञात हो की इससे पहले 5 अप्रैल को लद्दाख के लेह में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बाद धारा 144 लगा दी गई थी।
6th schedule of the constitution में क्या है?
भारतीय संविधान के छठी अनुसूची में अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत सीमावर्ती राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं। संविधान के इस 6 वीं अनुसूची के आधार पर जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है। इन राज्यों के राज्यपाल को यह अधिकार दिया गया है कि वो इन जिलों की सीमा में परिवर्तन कर सकते हैं और अगर किसी जिले में कई सारे जनजातियां हैं तो वहाँ ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट बनाए जा सकते हैं।
कानून बानने और लागू करने का अधिकार
इसके अलावा राज्य के भीतर इन जिलों को अपने हिसाब से विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्ता दी जाती है। इन अधिकारों का प्रयोग से समय परिस्थित और मांग को देखते हुय कर सकते हैं। इन जिलों में ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (Autonomous District Council) बनाया जाता है जिसकी कार्यकाल अधिकतम पांच साल होती है और इस ADC में अधिकतम 30 सदस्य होते हैं। ये ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल जिले में भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, स्वास्थ्य, स्वच्छता, ग्राम और नगर स्तर की प्रशासन , विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज और खनन आदि अहम मुद्दे पर अपने हिसाब से कानून, नियम बना सकते हैं।
अभी तक इन जगहों पर लागू है 6 वीं अनुसूची
- असम -दीमा हसाओ, कार्बी आंगलोंग, बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद
- मेघालय-खासी पहाड़ी, जयंतिया पहाड़ी, गारो पहाड़ी
- मिजोरम-चकमा, लाई, मारा
- त्रिपुरा-त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र