रात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर ईरान के राष्ट्रपति के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की। साथ ही इस मुश्किल समय में ईरान की जनता के साथ मिलकर काम किया। आज प्रधानमंत्री मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति Ebrahim Raisi के निधन पर शोक व्यक्त किया है। यही कारण है कि भारत को ईरान के राष्ट्रपति की मौत से कितना बड़ा नुकसान हुआ?
थोड़ा प्रभावी, सुप्रीम लीडर
बचाव दल ने कहा कि ईरान के राष्ट्रपति को लेकर उड़ा हेलीकॉप्टर पूरी तरह से जल गया था। ईरान के विदेश मंत्री सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मारे गए हैं। तुरंत ईरान के प्रधानमंत्री अयातोल्लाह खामेनई ने आपात बैठक बुलाई है। विशेष रूप से, 63 वर्षीय रईसी को खामेनई की जगह दी गई। हां, ईरान में सर्वोच्च नेतृत्व ही सर्वोच्च है। राष्ट्रपति की अचानक मौत से ईरान की विदेशी और घरेलू नीतियां बहुत कम प्रभावित होंगी। सुप्रीम लीडर को सबसे अधिक अधिकार है। पॉलिसी पर अंतिम मुहर भी वही लगाते हैं।
Ebrahim Raisi-मोदी की दोस्ती
जून 2021 में हसन रूहानी की जगह Ebrahim Raisi ईरान का राष्ट्रपति चुने गए। उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छी केमिस्ट्री थी। पिछले साल दोनों नेता ने मुलाकात की थी। नवंबर में दोनों नेताओं ने फोन पर भी चर्चा की थी। इस दौरान गाजा की स्थिति और चाबहार पोर्ट की वृद्धि पर भी चर्चा हुई।
एक हफ्ते पूर्व चाबहार सौदा
ईरानी राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर क्रैश में निधन की खबर कुछ दिन पहले भारत और ईरान के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था। भारत ने चाबहार स्थित शाहिद बेहेस्ती पोर्ट को 10 साल के लिए संचालित किया है। यह ईरान में दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है। इस समझौते के लिए मोदी सरकार के मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ईरान गए थे। इस डील ने विश्व भर में बहुत चर्चा की। भारत और ईरान की दोस्ती बढ़ती गई, लेकिन पाकिस्तान इसे पच नहीं रहा था।
अब सवाल यह है कि दोनों देशों के संबंधों पर आगे क्या प्रभाव पड़ेगा? रईसी काल में भारत-ईरान के रिश्ते को समझना आसान है।
1. ईरान ने कश्मीर पर पाकिस्तान की प्रॉपगेंडा को छोड़ दिया
हां, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कुछ हफ्ते पहले ईरान के राष्ट्रपति के पाकिस्तान दौरे पर कश्मीर को उठाने का प्रयास किया। वे भी अपनी तरफ से ईरान को इसमें सहायता देने की बात करते थे, लेकिन ईरान के राष्ट्रपति ने कश्मीर का जिक्र करने से बचकर गाजा पर चर्चा की।
2. भारत का नजदीकी साथी
भारत और ईरान पिछले कुछ वर्षों में बहुत करीब आए हैं। भारत ने चाबहार में चीन के साथ संबंध बनाए, जबकि पाकिस्तान ग्वादर में चीन के साथ संबंध बनाता रहा। ईरान खुशी-खुशी भारत को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और अधिक क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति दे रहा है। यह ध्यान देने योग्य है कि ईरान पाकिस्तान को छोड़कर अफगानिस्तान तक समुद्री रास्ता बना रहा है। भारत वहां बहुत सारे निवेश करेगा।
3. समुद्री बल
भारत के लिए ईरान फारस की खाड़ी में एक महत्वपूर्ण शक्ति है। इस प्रकार, दोनों देशों के बीच सुरक्षा और सैन्य संबंध मजबूत हो गए हैं। अमेरिका और इजरायल ईरान का सबसे बड़ा दुश्मन हैं, लेकिन भारत कभी खेमेबाजी नहीं खेला। वह दुनिया भर के देशों से द्विपक्षीय संबंधों पर जोर देता रहा है। इसलिए भारत ने अमेरिका, इजरायल और ईरान से भी अच्छे रिश्ते बनाए हैं।
ईरान पड़ोसी देश होता
हमारा पड़ोसी देश होता ईरान अगर भारत न बंटा होता। भारत के ईरान और अन्य शिया इस्लामिक देशों के साथ कभी भी खराब संबंध नहीं रहे हैं। हां, प्रतिबंधों ने दोनों देशों के संबंधों में कुछ गिरावट जरूर डाली। 2021 में विदेश मंत्री जयशंकर ने राष्ट्रपति रईसी को शपथ दी। NSA अजीत डोभाल भी लगातार ईरान जा रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में भारत-ईरान के संबंध तेजी से विकसित हुए हैं। ऐसे में भारत के द्विपक्षीय संबंधों में राष्ट्रपति रईसी का निधन बहुत बुरा है।
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ईरान और भारत के मित्रता का परिणाम था कि अप्रैल में इजरायली जहाज को गिरफ्तार करने के कुछ देर बाद ही ईरान ने जहाज पर सवार भारतीयों को रिहा करना शुरू कर दिया। ईरान के नेता और राजदूत अक्सर कहते हैं कि उनके भारत के साथ सैकड़ों साल से चले आ रहे रिश्ते ऐतिहासिक हैं। हमारे बीच बहुत सारी समानताएं हैं। हमारे आर्थिक संबंधों में और सुधार हो सकता है।
गहरा सदमा..। प्रधानमंत्री मोदी का ट्वीट
प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति के निधन पर बोलते हुए दोनों देशों के संबंधों को व्यक्त किया। ईरान के राष्ट्रपति डॉ. इब्राहिम रईसी के निधन से गहरा दुख और सदमा हुआ, उन्होंने लिखा। भारत और ईरान के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनकी भूमिका अनिवार्य रूप से स्मरणीय होगी। ईरान के लोगों और उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं। भारत दुःख की घड़ी में ईरान के साथ है।भारत के मित्र के रूप में रईसी का निधन बहुत दुःखद है।
– मोदी और रईसी ने वास्तव में भारत और ईरान के लोगों के बीच व्यक्तिगत संपर्क बढ़ाना चाहा।
– चाबहार पोर्ट को कनेक्टिविटी हब बनाने की दिशा में तेजी से प्रगति हुई।
– दोनों नेता ने ब्रिक्स समूह के विस्तार पर भी चर्चा की।
– दोनों नेता भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाना चाहते थे।
ईरानी कानून के अनुसार, ऐसे समय में उपराष्ट्रपति को प्रभार सौंपा जाता है और दो महीने के भीतर नए राष्ट्रपति चुने जाते हैं। चाहे कोई नया राष्ट्रपति हो, रईसी ने भारत-ईरान के संबंधों को मजबूत किया है।