Delhi News : लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यूपी में कमजोर प्रदर्शन किया। पार्टी ने केंद्र में अपने बहुमत की हार को स्वीकारना पड़ा। इसके बाद से पार्टी ने लगातार विचार किया है और हार के कारणों की खोज की है। इस संदर्भ में, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। मंगलवार शाम को साढ़े सात बजे मुलाकात होने की संभावना है।
इस बैठक(Delhi News) को पार्टी के हार के बाद और केशव प्रसाद मौर्य के हालिया बयान के बाद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यूपी में राजनीतिक जानकार इस बात को लेकर कह रहे हैं कि केशव प्रसाद मौर्य का संबंध यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सदैव समझौते से रहा है। अब पार्टी के हार के बाद, अंदरूनी कलह की आशंका है क्योंकि पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की बात उठने लगी है।
दरअसल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त केशव प्रसाद मौर्य यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे. पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली लेकिन सीएम की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को मिली. केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा. उसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में मौर्य अपनी विधानसभा सीट से हार गए. इस विधानसभा चुनाव से पहले भी सीएम और डिप्टी सीएम के बीच मतभेद की खबरें आती रहीं। इन चर्चाओं को विराम देने के लिए खुद सीएम योगी आदित्यनाथ डिप्टी सीएम के आवास भी गए और साथ में भोजन किया।
केशव प्रसाद मौर्य को माना गया कमजोर
इस बीच 2022 के विधानसभा चुनावों में मौर्य हार गए तो उस वक्त भी पार्टी में दबे स्वरों में कहा गया कि वो हारे नहीं बल्कि साजिश के तहत हरा दिए गए। उसके बाद पार्टी में मौर्य की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनावी नतीजों के बाद पार्टी के अंदरखाने सीएम योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। लिहाजा बीजेपी के भीतर फिर से सीएम और डिप्टी सीएम की अनबन की खबरें छनकर सामने सामने लगी हैं. मौर्य ने रविवार को ये कहकर सियासी हलचल बढ़ा भी दी है कि सरकार से बड़ा संगठन होता है। उन्होंने रविवार को लखनऊ में कहा कि संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा बड़ा रहेगा और मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं।
यूपी में बड़े बदलाव होने की संभावना
लोकसभा चुनावों से पहले, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक बयान दिया था जिससे एक सनसनी फैल गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर बीजेपी भारी बहुमत से जीतती है तो उसके दो महीने के भीतर यूपी का सीएम बदल दिया जाएगा। बीजेपी यूपी में इंडिया गठबंधन के खिलाफ हार गई है, लेकिन अब भी एक प्रश्न खड़ा है कि हार की नैतिक जिम्मेदारी किस पर होगी – सीएम योगी आदित्यनाथ पर या प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पर? अब सवाल ये उठता है कि बीजेपी क्या 2027 के विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ को हटाने का जोखिम उठाएगी? इससे भी बड़ा सवाल है कि क्या सीएम योगी को पद से हटाना आसान होगा?