बांग्लादेश में जून से आरक्षण विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए थे, जो अगस्त की शुरुआत में और ज्यादा उग्र हो गए। इन प्रदर्शनों के हिंसक होने पर शेख हसीना (Sheikh Hasina) को देश छोड़कर भागना पड़ा था। शेख हसीना अब भारत में रह रही हैं, लेकिन अब भी मुश्किलें हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही है।
ढाका ट्रिब्यून न्यूज पेपर के अनुसार, मामला अबू सईद नाम के किराने की दुकान के मालिक के शुभचिंतक ने दर्ज कराया है, अबू सईद की 19 जुलाई को मोहम्मदपुर में आरक्षण आंदोलन के समर्थन में निकले जुलूस के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मौत हो गई थी। अन्य आरोपियों में अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल मामून शामिल हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई उच्च पदस्थ पुलिस और सरकारी अधिकारियों को भी मामले में आरोपी बनाया गया है। 5 अगस्त को शेख हसीना (Sheikh Hasina) सरकार के गिरने के बाद से बांग्लादेश में 230 से ज्यादा लोग हिंसा में मारे गए हैं। प्रदर्शनों के शुरू होने से अब तक इस हिंसा में 560 लोगों की मौत हो चुकी है।
बांग्लादेश में हसीना सरकार के पतन के बाद एक अंतरिम सरकार बनी है, जिसमें 84 साल के नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया है। यूनुस ने पिछले हफ्ते अपनी 16 सदस्यीय सलाहकार परिषद की विभागों की घोषणा की थी। BNP महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि हमने अंतरिम सरकार को चुनाव के लिए उचित माहौल बनाने के लिए जरूरी समय दिया है।
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आलमगीर ने कहा, कि चुनावों के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है और BNP ने अगले चुनाव के लिए किसी समय सीमा का उल्लेख नहीं किया है। बीएनपी अंतरिम सरकार की सभी गतिविधियों का पूरा समर्थन करती हैं। हसीना के अपदस्थ होने के बाद, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया, जो 79 साल की हैं अब जेल से रिहा कर दिया गया। उन्हें साल 2018 में भ्रष्टाचार के आरोप में 17 साल की सजा दी गई थी।