Kolkata: पश्चिम बंगाल और पूरे देश को हिला देने वाले एक हाई-प्रोफाइल मामले में, Kolkata हाई कोर्ट ने 31 वर्षीय डॉक्टर की निर्मम हत्या और बलात्कार की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का असाधारण कदम उठाया है। यह निर्णय उस समय लिया गया जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कोलकाता पुलिस को जांच पूरी करने के लिए दी गई समय सीमा के कुछ दिन पहले ही अदालत ने मामले में दखल दिया। अदालत की सख्त टिप्पणियों ने प्रारंभिक जांच में गंभीर चूक को उजागर किया है, जिससे राज्य के अधिकारियों और उस अस्पताल प्रशासन की कार्यवाही पर सवाल खड़े हो गए हैं, जहां यह दुखद घटना घटी।
अदालत का हस्तक्षेप
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने Kolkata पुलिस को 6 दिन का समय दिया था कि वे राज्य सरकार के अस्पताल में एक 31 वर्षीय डॉक्टर की रेप और हत्या के मामले की जांच पूरी करें। लेकिन इससे 5 दिन पहले ही कलकत्ता हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए मामला सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया।
अदालत के फैसले की प्रमुख बातें
- अदालत की टिप्पणी: अदालत ने जांच में “कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं” होने की बात कही और सबूतों के नष्ट होने की संभावना जताई।
- जनहित याचिकाएँ: पीड़िता के माता-पिता और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी सहित कई लोगों ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की।
- अदालत का आधार: सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए, अदालत ने कहा कि “गंभीर और असाधारण मामलों” में ही राज्य पुलिस से जांच को अन्य स्वतंत्र एजेंसी को सौंपा जा सकता है।
पीड़िता के माता-पिता का पक्ष
माता-पिता ने कहा कि घटना से कुछ घंटे पहले उनकी बेटी से बात हुई थी, और वह सामान्य और खुश लग रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अस्पताल में बेटी के शव को देखने के लिए तीन घंटे इंतजार करवाया गया, और जब उन्होंने शव देखा, तो उस पर चोट के निशान थे और निचले हिस्से पर कपड़े नहीं थे।
#WATCH | RG Kar Medical College and Hospital rape-murder case | CBI team from Delhi arrives in Kolkata, West Bengal for investigation into the case, following Calcutta High Court order.
The CBI has taken over the case and has sent a specialised medical and forensic team from… pic.twitter.com/CEujD0CGW8
— ANI (@ANI) August 14, 2024
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने कहा कि माता-पिता को तीन घंटे इंतजार नहीं करना पड़ा था और शव को हॉल से बाहर नहीं निकाला जा सका क्योंकि बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए थे।
ALERT 🚨
Visuals coming from RG Kar Hospital alleged to distort evidences at crime scene,
The case and evidences are supposed to handed over to CBI tomorrow morning after Calcutta High Court decision,
This is the so called safest city ‘Kolkata’ for you !#RGKarHospital pic.twitter.com/rOrWbxT4A1
— Manish Aman (@manish__aman) August 13, 2024
कोर्ट की फटकार
- प्रिंसिपल की भूमिका: अदालत ने पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की आलोचना की, जिनकी जल्दी पुनः नियुक्ति हुई थी। कोर्ट ने इसे कर्तव्य में गंभीर चूक बताया।
- असामान्य मृत्यु का मामला: अदालत ने सवाल उठाया कि डॉक्टर की मौत के बाद क्यों सामान्य मौत का मामला दर्ज किया गया। उन्होंने इसे संदिग्ध बताया।
जन विश्वास और डॉक्टरों का विरोध
अदालत ने जांच में जन विश्वास बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि अगर न्यायालय ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो जनता का विश्वास टूट सकता है। उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वे अपना विरोध समाप्त करें ताकि अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को परेशानी न हो।