Janmashtami 2024 : भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण अष्टमी को हुआ था, जिसे जन्माष्टमी कहा जाता है। इस दिन को विशेष पूजा और व्रत करके आप अपनी मनोकामनाओं को पूरा कर सकते हैं और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अब आइए जानते हैं कि श्री कृष्ण के महाप्रलयंकारी अस्त्र कौन-कौन से हैं।
- सुदर्शन चक्र: यह भगवान कृष्ण का प्रमुख अस्त्र है। “सुदर्शन” संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है “सुंदर दृष्टि” या “अच्छी दृष्टि” और “चक्र” का मतलब है “चक्र” या “व्हील”। यह चक्र भगवान कृष्ण के प्रमुख दिव्य अस्त्रों में से एक है और इसे उनके सामर्थ्य, शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है।जिसका उपयोग उन्होंने राक्षसों और असुरों को पराजित करने के लिए किया। यह एक दिव्य चक्र है जो शत्रुओं को काटने और हराने की क्षमता रखता है।
- गदा: भगवान कृष्ण का गदा युद्ध में उनके महत्वपूर्ण अस्त्रों में से एक है। इसकी भारी और मजबूत शक्ति से उन्होंने दुष्टों का संहार किया और धर्म की रक्षा की। आपको बता दें भगवान श्री कृष्ण की गदा का नाम “Kaumodaki” है। यह गदा उनकी शक्ति और विजय का प्रतीक है, जिसका उपयोग उन्होंने युद्धों में राक्षसों और दुष्टों को पराजित करने के लिए किया। Kaumodaki गदा भगवान कृष्ण के महत्वपूर्ण अस्त्रों में से एक मानी जाती है और इसे उनकी शक्ति और धर्म की रक्षा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
- बाण (तीर): भगवान कृष्ण के बाण युद्ध में उनकी उत्कृष्ट निशानदेही और शक्ति का प्रतीक हैं। इनका उपयोग उन्होंने महाभारत जैसे महायुद्धों में किया। भगवान श्री कृष्ण के तीर और धनुष का नाम “शारंग” था। शारंग धनुष भगवान कृष्ण के प्रमुख अस्त्रों में से एक था, जिसका उपयोग उन्होंने युद्ध में अपनी शक्ति और निशानदेही को प्रकट करने के लिए किया। यह धनुष विशेष रूप से उनके सामर्थ्य और युद्ध कौशल का प्रतीक है।
- पट्टिका (शस्त्र): कृष्ण की पट्टिका एक खास प्रकार का हथियार है जिसका प्रयोग उन्होंने दुश्मनों को पराजित करने और धर्म की रक्षा के लिए किया। इसी के साथ पट्टिका (या पट्टिक) एक विशेष प्रकार का शस्त्र है जो भगवान श्री कृष्ण के अस्त्रों में से एक था। इसे एक प्रकार की लकड़ी की छड़ी या काठी के रूप में वर्णित किया गया है। यह शस्त्र युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण द्वारा उपयोग में लाया गया और इसका उपयोग उन्होंने शत्रुओं से मुकाबला करने में किया। हालांकि, यह अस्त्र विशेष रूप से दैत्यों और राक्षसों को पराजित करने में प्रख्यात था और भगवान कृष्ण के सामर्थ्य और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
इन शक्तिशाली अस्त्रों के माध्यम से भगवान कृष्ण ने न केवल युद्धों में विजय प्राप्त की बल्कि भक्तों की रक्षा भी की। जन्माष्टमी पर इन अस्त्रों की महिमा को जानकर हम उनके आदर्शों और शिक्षाओं से प्रेरित हो सकते हैं।
Janmashtami 2024 : आज मनाया जाएगा पावन जन्माष्टमी का त्योहार, जानें…