RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसने अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं दोनों का ध्यान खींचा है। उन्होंने देश में बढ़ते कर्ज के स्तर पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। आर्थिक स्थिरता के लिए संभावित जोखिमों पर प्रकाश डालते हुए गवर्नर दास ने इस बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए सरकार, बैंकिंग क्षेत्र और आम जनता को शामिल करते हुए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। यह लेख बढ़ते कर्ज के बहुआयामी मुद्दे, भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव और इसके प्रभाव को कम करने के लिए RBI द्वारा प्रस्तावित रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा करता है।
कर्ज की बढ़ती समस्या
हाल के वर्षों में देश में कर्ज का स्तर तेजी से बढ़ा है। चाहे वह व्यक्तिगत कर्ज हो, व्यापारिक कर्ज हो या फिर सरकारी कर्ज, हर क्षेत्र में कर्ज का अनुपात बढ़ रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान, आर्थिक गतिविधियों में कमी आई, जिससे कई व्यवसाय और आम लोग कर्ज पर निर्भर हो गए। इसके अलावा, महामारी के बाद की स्थिति में भी आर्थिक गतिविधियों की धीमी गति और उच्च मुद्रास्फीति ने कर्ज की समस्या को और बढ़ा दिया है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बढ़ते कर्ज का सीधा असर आर्थिक स्थिरता पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया, तो यह न केवल वित्तीय संस्थानों के लिए खतरा बन सकता है, बल्कि आम नागरिकों की वित्तीय स्थिति को भी कमजोर कर सकता है।
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सामूहिक प्रयासों की जरूरत
दास ने इस मुद्दे से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कर्ज का मुद्दा सिर्फ बैंकिंग सेक्टर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकार और आम जनता दोनों की जिम्मेदारी है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को कर्ज के नियमन में कड़े कदम उठाने चाहिए और वित्तीय संस्थानों को अपने क्रेडिट पॉलिसी में सतर्कता बरतनी चाहिए। इसके साथ ही आम जनता को भी अपनी आर्थिक योजनाओं में समझदारी से कर्ज का इस्तेमाल करना चाहिए।
वित्तीय साक्षरता पर जोर
RBI गवर्नर ने कर्ज से संबंधित एक और महत्वपूर्ण पहलू पर भी जोर दिया: वित्तीय साक्षरता। उन्होंने कहा कि लोगों को कर्ज लेने से पहले अपनी आर्थिक क्षमता और इसे चुकाने की संभावना पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए उन्हें वित्तीय साक्षरता और योजना बनाने की जरूरत है। वित्तीय साक्षरता में सुधार करके कर्ज के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।
RBI की नीतियां
आरबीआई ने भी कर्ज के संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। रेपो रेट को नियंत्रित करने से लेकर क्रेडिट पॉलिसी में सुधार तक, आरबीआई लगातार इस दिशा में काम कर रहा है। हालांकि, गवर्नर दास ने स्पष्ट किया कि कर्ज का बढ़ता स्तर एक सामूहिक समस्या है और इसके समाधान के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।