Edible Oil : पिछले हफ्ते देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में ऊंचे दामों पर कम कारोबार और मूंगफली तेल-तिलहन व डी-ऑयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के कारण सोयाबीन तिलहन की कीमतों में गिरावट देखी गई।
वहीं, नरम तेलों (सॉफ्ट ऑयल) की सीमित आपूर्ति के चलते सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन तेल और बिनौला तेल की कीमतों में सुधार हुआ। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, नई फसल की आवक और ऊंचे दामों पर कम कारोबार के कारण मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट आई, जबकि डीओसी की मांग में कमी से सोयाबीन तिलहन के दाम भी नीचे गए। दूसरी ओर, त्योहारों के मौसम में सॉफ्ट ऑयल की कम आपूर्ति के कारण अन्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई।
अचानक गिर गए सोयाबीन और मूंगफली तेलों के दाम
उन्होंने कहा कि इस मूल्य वृद्धि के बावजूद मूंगफली और सोयाबीन की कीमतें अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 5-7 प्रतिशत कम, और सूरजमुखी की कीमतें 20-25 प्रतिशत कम पर बिक रही हैं, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले सप्ताह सोयाबीन डीगम तेल की कीमत 1,015-1,020 डॉलर प्रति टन थी, जो इस सप्ताह बढ़कर 1,060-1,065 डॉलर प्रति टन हो गई। इसी तरह सूरजमुखी तेल की कीमत 1,050-1,055 डॉलर से बढ़कर 1,095-1,100 डॉलर प्रति टन और सीपीओ की कीमत 1,050-1,055 डॉलर से बढ़कर 1,090-1,100 डॉलर प्रति टन हो गई।
इस मूल्य वृद्धि और आपूर्ति की कमी के कारण सोयाबीन तेल, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला तेल और सरसों तेल-तिलहन की कीमतों में भी मजबूती आई है। सूत्रों ने बताया कि पिछले साल मध्य प्रदेश के खारगौन में किसानों को कपास नरमा के लिए 6,400 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला था, जो इस साल बढ़कर 7,400-7,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। इसी तरह गुजरात के मेहसाणा में भी कपास नरमा की आवक शुरू हो गई है, और किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाले नरमा के लिए लगभग 8,000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है, जिससे वे काफी खुश हैं। यही बिनौला तेल की कीमतों में मजबूती का मुख्य कारण है।
तेल और तिलहन के दाम
सूत्रों ने बताया कि विदेशों में कई जगह बायोडीजल बनाने के लिए कच्चे पामतेल (सीपीओ) का उपयोग बढ़ने से आने वाले वर्षों में पाम और पामोलीन की आपूर्ति पर दबाव बढ़ सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए देश में तेल-तिलहन उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत होगी। सीपीओ का बायोडीजल में बढ़ता इस्तेमाल ही इसकी कीमतों के सोयाबीन तेल से अधिक होने का कारण बन रहा है। पिछले सप्ताह सरसों दाने की थोक कीमत 75 रुपये बढ़कर 6,675-6,725 रुपये प्रति क्विंटल हो गई, जबकि सरसों दादरी तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 14,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल की कीमतें क्रमश: 40 रुपये की बढ़त के साथ 2,175-2,275 रुपये और 2,175-2,290 रुपये प्रति टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज की कीमतें 70 रुपये गिरकर क्रमशः 4,830-4,880 रुपये और 4,605-4,740 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं। इसके विपरीत, सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम की कीमतें क्रमशः 1,000 रुपये, 700 रुपये और 650 रुपये बढ़कर 12,850 रुपये, 12,450 रुपये और 9,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुईं। मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली। मूंगफली तिलहन की कीमत 125 रुपये गिरकर 6,350-6,625 रुपये प्रति क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात की कीमत 275 रुपये कम होकर 15,100 रुपये प्रति क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 40 रुपये गिरकर 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन हो गया।
वहीं, सीमित आपूर्ति के कारण कच्चे पाम तेल (सीपीओ) की कीमत 450 रुपये बढ़कर 11,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुई।