नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने सुप्रीम कोर्ट से आपराधिक मानहानि मामले में राहत की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख निर्धारित की है।
हाई कोर्ट का फैसला और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
इससे पहले, 2 सितंबर को Delhi high court ने दोनों नेताओं के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था। केजरीवाल और आतिशी पर आरोप है कि उन्होंने भाजपा पर दिल्ली की मतदाता सूची से 30 लाख वोटरों, विशेष रूप से बनिया, पूर्वांचली और मुस्लिम समुदाय के नाम हटाने का आरोप लगाया था। हाई कोर्ट ने दोनों नेताओं को 3 अक्टूबर को होने वाली निचली अदालत की सुनवाई में शामिल होने का निर्देश भी दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी शामिल थे, ने भाजपा के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव बब्बर के वकील की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई 30 सितंबर तक टाल दी। बब्बर के वकील ने अदालत को सूचित किया कि कैविएट दाखिल करने के बावजूद उन्हें मामले की सुनवाई के बारे में समय से सूचना नहीं दी गई थी।
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केजरीवाल और आतिशी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई स्थगित करने पर कोई आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 30 सितंबर तक के लिए टाल दी।
हाई कोर्ट का रुख और भाजपा की प्रतिक्रिया
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आप नेताओं के बयान अनुचित राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से दिए गए थे और इनसे भाजपा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। बब्बर ने आरोप लगाया था कि आप नेताओं ने दिसंबर 2018 में चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर विशेष समुदायों के मतदाताओं के नाम हटाने का झूठा आरोप लगाया था।
ट्रायल कोर्ट का आदेश और अगली सुनवाई
केजरीवाल और अन्य आप नेताओं ने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें बब्बर की शिकायत के आधार पर मजिस्ट्रेट द्वारा जारी समन को बरकरार रखा गया था। ट्रायल कोर्ट की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को निर्धारित है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आगामी राजनीतिक और कानूनी घटनाक्रम को प्रभावित कर सकता है। आप नेताओं ने अपने बयान को राजनीति से प्रेरित मानहानि का मामला बताया है, जबकि भाजपा इसे पार्टी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास मान रही है।