Plastic Waste Management : स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वाराणसी के ग्रामीण इलाकों को प्लास्टिक मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। इस योजना के तहत जिले के तीन विकासखंडों में जल्द ही प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीडब्लूएमयू) की शुरुआत होगी। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे के उचित प्रबंधन के साथ-साथ इसे रीसायकल करना है।
थ्री आर पद्धति का उपयोग
गांवों को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए ‘थ्री आर’ पद्धति यानी रिड्यूज (कम करना), रीयूज (पुन: उपयोग करना), और रिसाइकिल (पुनर्चक्रण) को अपनाया जा रहा है। इसका मतलब है कि प्लास्टिक कचरे को कम से कम उपयोग करना, उपयोग किए हुए प्लास्टिक को दोबारा इस्तेमाल करने के तरीकों पर जोर देना और इसे रीसायकल करके नए उत्पाद बनाना।
प्लास्टिक से होगी आय
प्लास्टिक कचरे को रीसायकल करने के लिए विशेष प्लास्टिक पिलेट्स बनाए जाएंगे, जिन्हें कंपनियां दो से तीन रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदेंगी। यह पिलेट्स पीडब्ल्यूडी, आरईएस और जिला पंचायत द्वारा सड़क निर्माण में भी उपयोग किए जाएंगे। इस प्रक्रिया से न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि ग्राम पंचायतों को भी अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिलेगा। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट के जरिये ग्राम पंचायतों को कार्बन क्रेडिट से भी आय होगी। कार्बन क्रेडिट का मतलब है कि जब कोई संस्था या व्यक्ति कम कार्बन उत्सर्जन करता है, तो उसे कार्बन क्रेडिट मिलते हैं, जिसे बेचा जा सकता है। इस तरह से ग्राम पंचायतें न केवल प्लास्टिक कचरे से निजात पा सकेंगी बल्कि इससे अपनी आय भी बढ़ा सकेंगी।
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हर ग्राम पंचायत में प्लास्टिक कचरे को एकत्र करने के लिए 100 बोरे लगाए गए हैं। ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे अपने घरों और आसपास के प्लास्टिक कचरे को इन बोरों में डालें। इसके बाद इस प्लास्टिक को संबंधित विकासखंड के पीडब्लूएमयू में ले जाकर रीसायकल किया जाएगा। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना से ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। एक यूनिट से लगभग पांच से 10 महिलाओं और मशीन संचालन के लिए अन्य लोगों को रोजगार मिलेगा। इस पहल से गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम किया जा रहा है।
हर महीने निकल सकता है एक टन प्लास्टिक
प्रत्येक ब्लॉक से हर महीने लगभग एक टन प्लास्टिक कचरा निकलने की संभावना है, जिसे रीसायकल करके प्लास्टिक पिलेट्स में बदल दिया जाएगा। इस पिलेट्स को कानपुर की एक कंपनी खरीदने के लिए तैयार है, जिससे एमओयू (समझौता) किया जा रहा है। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में प्लास्टिक कचरे का उचित प्रबंधन, रोजगार सृजन और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे गांवों को स्वच्छ और आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा।