Ashok Tanwar: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक और तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि उनके प्रमुख नेता और हरियाणा के राजनीतिक समीकरणों में खास भूमिका निभाने वाले अशोक तंवर ने फिर से कांग्रेस का दामन थाम लिया है। 3 अक्टूबर 2024 को, राहुल गांधी की उपस्थिति में महेंद्रगढ़ में तंवर ने पार्टी में वापसी की, जो बीजेपी के लिए भारी आघात माना जा रहा है।
तंवर वही नेता हैं, जिन्होंने 2019 में कांग्रेस की दलित नेत्री कुमारी शैलजा के खिलाफ बीजेपी से टिकट लेकर चुनाव लड़ा था। उस समय, अशोक तंवर ने कांग्रेस छोड़ते हुए पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिससे हरियाणा की राजनीति में काफी हलचल मच गई थी। अब, तंवर की कांग्रेस वापसी से न केवल बीजेपी को नुकसान होगा, बल्कि कुमारी शैलजा और कांग्रेस के भीतर की खींचतान भी खुलकर सामने आ सकती है।
BREAKING: An hour is a very long time in politics. Ashok Tanwar, who about an hour back was seeking votes for BJP at a rally, joins Congress now. Gharwapasi of Tanwar done on the eve of voting in Haryana.
— Prashant Kumar (@scribe_prashant) October 3, 2024
Ashok Tanwar की कांग्रेस में वापसी: चुनावी राजनीति में बड़ा मोड़
अशोक तंवर, जो कभी हरियाणा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, ने 2019 में पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर अनदेखी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। तंवर के अनुसार, कांग्रेस में रहते हुए उन्हें हमेशा साइडलाइन किया गया और उनके प्रति अन्याय हुआ। उन्होंने 2019 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के दिग्गज नेता और दलित नेत्री कुमारी शैलजा के खिलाफ बीजेपी के टिकट पर सिरसा से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। तंवर की यह बगावत तब कांग्रेस के लिए बड़ा झटका थी, और अब उनकी वापसी बीजेपी के लिए भी वैसा ही साबित हो रही है।
Ashok Tanwar. !
20 Minutes पहले Safido मे BJP के लिए वोट माँग रहे थे !
20 Minutes बाद Congress के मंच पर। !— MR. Dahiya (@PureHaryanvi) October 3, 2024
कुमारी शैलजा के साथ तंवर की पुरानी खटास: क्या कांग्रेस में फिर दिखेगा तनाव?
Ashok Tanwar और कुमारी शैलजा के बीच लंबे समय से मतभेद हैं। तंवर ने जब कांग्रेस छोड़ी थी, तब उन्होंने खुलेआम शैलजा पर पार्टी में गुटबाजी और उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि शैलजा और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं की वजह से उन्हें पार्टी में जगह नहीं मिली। अब तंवर की कांग्रेस में वापसी के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस के भीतर कुमारी शैलजा और तंवर के बीच एक बार फिर तनाव देखने को मिलेगा? क्या कांग्रेस इस बार दोनों नेताओं के बीच सुलह करा पाएगी, या फिर यह स्थिति पार्टी को चुनाव में नुकसान पहुंचाएगी?
बीजेपी के लिए बड़ा झटका: चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़ना बना चर्चा का विषय
Ashok Tanwar की कांग्रेस वापसी का समय भी चर्चा का विषय बना हुआ है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन, जब हरियाणा की राजनीति गरमाई हुई है, ऐसे में तंवर का बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में लौटना पार्टी के लिए बड़ा धक्का साबित हो सकता है। बीजेपी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां दी थीं, लेकिन उनका पार्टी से यूं पलटना बीजेपी के अंदरूनी हालात पर भी सवाल खड़े करता है। क्या बीजेपी के अंदर भी असंतोष की लहर उठने लगी है, या फिर तंवर को यहां भी कोई खास जगह नहीं मिल पाई?
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तंवर की वापसी से कांग्रेस को फायदा या नुकसान?
Ashok Tanwar की वापसी से कांग्रेस को कितना फायदा होगा, यह तो चुनावी नतीजों के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इससे हरियाणा के दलित वोट बैंक में बदलाव की उम्मीद की जा रही है। अशोक तंवर को दलित समुदाय में अच्छी पकड़ माना जाता है, और उनकी वापसी कांग्रेस को इस वर्ग में नई मजबूती दे सकती है। हालांकि, पार्टी के अंदरुनी गुटबाजी और कुमारी शैलजा के साथ उनके पुराने मतभेद कांग्रेस के लिए चुनौती बने रह सकते हैं।