Ratan Tata’s Journey: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का निधन हो गया है। उन्होंने 86 वर्ष की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार थे। 31 मार्च 2024 तक टाटा ग्रुप (Ratan Tata’s Journey) का कुल मार्केट कैप 365 अरब डॉलर था, लेकिन यह विशाल कारोबार रतन टाटा की मेहनत का परिणाम है।
नमक से लेकर जहाज तक का सफर
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में हुआ। उनके पिता नवल टाटा और मां सूनी टाटा 1948 में अलग हो गए, जिसके बाद उनकी दादी ने उनकी परवरिश की। मुंबई और शिमला में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
रतन टाटा अमेरिका में नौकरी करना चाहते थे, लेकिन दादी की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा। भारत लौटकर उन्होंने आईबीएम में काम शुरू किया, लेकिन जब टाटा ग्रुप के चेयरमैन जेआरडी टाटा को इस बारे में पता चला, तो वे नाराज हुए। जेआरडी टाटा के कहने पर उन्होंने अपना सीवी टाटा ग्रुप में भेजा और एक सामान्य कर्मचारी के रूप में काम की शुरुआत की।
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घर-घर में टाटा का नाम
टाटा ग्रुप में काम करते हुए उन्होंने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर काम करने की बारीकियां सीखी और टाटा स्टील के प्लांट में चूना-पत्थर डालने का काम किया, जो आमतौर पर मजदूर करते थे। 1991 में रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला और लगभग 21 वर्षों तक समूह का नेतृत्व किया। इस दौरान उन्होंने न केवल टाटा ग्रुप का प्रभावी नेतृत्व किया, बल्कि भारतीय उद्योग को भी वैश्विक पहचान दिलाई। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने जगुआर लैंड रोवर जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड को अधिग्रहित किया।
रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को नमक उत्पादन से लेकर विमानन क्षेत्र तक विस्तारित किया। उनकी वजह से आज भारत के हर घर में टाटा का कोई न कोई उत्पाद मौजूद है, जो सभी वर्गों के लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।