Bhojpur News : कहते हैं कि अगर हौसला और हुनर बुलंद हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बिहार के भोजपुर जिले की गौरी त्रिपाठी नाम की एक बेटी इन दिनों सवारी गाड़ी की स्टेयरिंग थामकर 10 किलोमीटर का सफर तय करती हैं। वह रोजाना स्कूली बच्चों को सुरक्षित स्कूल पहुंचाती हैं और उन्हें घर छोड़ती हैं। गौरी न सिर्फ बच्चों को बल्कि उस रूट के अन्य यात्रियों को भी उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं। अपने इस साहसिक कदम से गौरी न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही हैं बल्कि पुरुषों के वर्चस्व वाले इस क्षेत्र में समानता का संदेश भी दे रही हैं।
दरअसल गौरी त्रिपाठी कोईलवर प्रखंड के कसाप गांव में एक निजी स्कूल चलाती हैं, इसके साथ ही वह महिला ड्राइवर भी हैं। गौरी त्रिपाठी के महिला ड्राइवर बनने के पीछे की वजह एक दुर्घटना थी और उसी से सबक लेते हुए गौरी ने फैसला किया कि वह खुद गाड़ी चलाना सीखेंगी और स्कूली बच्चों समेत उस रूट के यात्रियों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाएंगी। क्योंकि उन्हें गौरी त्रिपाठी की ड्राइविंग पर पूरा भरोसा है।
स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने के दौरान गौरी कई बार अपनी गाड़ी में प्राइवेट यात्रियों को भी जगह देती हैं और उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं। इधर, गौरी को गाड़ी चलाते देख कई लोग हैरान हो जाते हैं कि कोई महिला ड्राइवर गाड़ी चला रही है। बड़े शहरों में महिलाओं के लिए बड़ी गाड़ियां चलाना आम बात है, लेकिन छोटे शहरों के ग्रामीण परिवेश में पैसेंजर गाड़ी चलाना महिलाओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इन तमाम परिस्थितियों के बावजूद गौरी त्रिपाठी घर से निकलकर दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल कायम कर रही हैं।
इस घटना के बाद लिया फैसला
गौरी त्रिपाठी कहती हैं कि गाड़ी चलाते समय उन्हें किसी तरह की शर्मिंदगी महसूस नहीं होती। उन्होंने बताया कि वह भोजपुर जिले के कसाप गांव में 2016 से आरआर चला रही हैं। वह शिक्षा निकेतन नाम से एक प्राइवेट स्कूल चलाती हैं, जहां वह गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षा देती हैं एक दिन नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए ड्राइवर की गाड़ी बच्चों को ले जा रहे खंभे से टकरा गई। गनीमत रही कि बच्चों को चोट नहीं आई, लेकिन गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई।
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उस घटना के बाद गौरी ने खुद गाड़ी चलाने का संकल्प लिया, ताकि वह बच्चों को सुरक्षित घर से स्कूल ला सके और वापस छोड़ सके। शुरुआती दिनों में जब वह गाड़ी चलाकर बच्चों को छोड़ने जाती थी, तो लोग उसे घूरते थे, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया। अब वह बिना किसी झिझक के बच्चों को सुरक्षित उनके घर छोड़ती है। गौरी ने महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। लगन और आत्मविश्वास हो तो कोई भी काम आसानी से किया जा सकता है।