Hindu Temples: क्या आपको भी इस सवाल ने कभी सोचने पर मजबूर किया है के आख़िर क्यों सभी देवी देवताओं के मंदिर पहाड़ों पर ही क्यों होते हैं जैसे- बद्रीनाथ, केदारनाथ वैष्णुदेवी आदि। अगर शिल्पकारियों (Hindu Temples) की माने तो पहाड़ों पर बने मंदिरों का स्वरूप कुछ-कुछ पिरामिड से मेल खाता है। ग्रीक भाषा में पायर शब्द का अर्थ होता है अग्नि या जिसने अग्नि का प्रवाह हो और जैसा कि हिंदू धर्म में अग्नि एक प्रकार की ऊर्जा है।
अतः पिरामिड का अर्थ हुआ ऐसा स्थान जहां अग्निमय ऊर्जा बहती है इसीलिए पहाड़ों पर स्तिथ मंदिर में विशेष प्रकार की ऊर्जा का वास होता है।वैज्ञानिक के शोधों से भी पता चला है कि पहाड़ी स्थानों पर पॉजिटिव एनर्जी का स्तर आमतौर पर ज्यादा होता है। जब लोग पहाड़ों पर दर्शन के लिए जाते हैं तो उस पॉजिटिव एनर्जी का असर उनके मनो-मस्तिष्क पर भी होता है और उनके आध्यात्मिक भाव जागते हैं।
ऋषि मुनियों का पूर्वाभास
प्राचीन भारत (Hindu Temples) के ऋषि मुनि जानते थे कि आने वाले समय में मनुष्य अपनी सुविधा के लिए कुछ भी कर सकता हैं वो जंगल आदि सभी नष्ट कर देगा इसीलिए ऐसी स्थिति में योग साधना के लिए स्थान शेष नहीं बचेंगे। भविष्य के पूर्वानुभव ने ऋषि मुनियों ने समतल ज़मीन छोड़ कर पहाड़ों को अपने साधना के लिए चुन लिया ताकि आने वाले समय में मनुष्य रहने के लिये मंदिर का निरादर ना करे।देवों के युग में ऋषि मुनि एकांत पसंद होते थे इसीलिय वो ऐसी जगह का चयन करते थे जहां वो आसानी से साधना कर सकते हो क्योंके साधना के लिए एकाग्रता होनी बहुत जरूरी है। और यह काम एकांत में ही संभव है।
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प्राकृतिक सौंदर्य
इसके अलावा एक कारण ये भी है कि पहाड़ों पर प्राकृतिक सौंदर्य अपने मूल रूप में होता है, जो जीवन जीने कि लिये प्रेरित करता है। जब लोग पहाड़ों पर दर्शन के लिए आते हैं तो उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य देखने को मिलता है और इस बात का आभास होता है के भगवान ने इस धरती को मोहक और सुंदर बनाया जो अन्य कहीं देखना संभव नहीं है।