प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर 20 नवंबर को मतदान होगा। चुनाव प्रचार सोमवार की शाम थम जाएगा। इन्हीं सीटों में से एक फूलपुर है, जहां पर बीजेपी-सपा के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। चुनाव प्रचार के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर अखिलेश यादव ने जनसभा के जरिए हुंकार भरी। उम्मीदवार भी गांव-गांव, गली-गली जाकर वोट मांग रहे हैं तो वहीं प्रयागराज का माफिया अतीक अहमद भी चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा। डॉन मर कर फिर से जिंदा हो गया। सीएम योगी से लेकर विधायक पूजा पाल ने अतीक अहमद के गुनाहों की चार्जशीट पब्लिक के बीच खोली। ऐसे में हम आपको अतीक अहमद और फूलपुर के रिश्ते से रूबरू कराने जा रहे हैं। डॉन का कैसे द एंड हुआ और वह नागिन बनकर किस तरह से अपने पूरे परिवार का डसा। तो आइए जानते हैं पहली अतीक अहमद के बारे में।
पांच बार चुना गया विधायक
इलाहाबाद में अतीक अहमद खौफ का दूसरा नाम था। वह समाजवादी पार्टी का नेता था। इसी पार्टी के टिकट पर वह उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोकसभा तक भी पहुंचा था। अतीक अहमद इलाहाबाद वेस्ट विधानसभा सीट से रिकॉर्ड लगातार 5 बार विधायक चुना गया था। सबसे पहले वह 1989 में यहां से चुनाव जीता था। इसके बाद अतीक अहदम दो बार इसी सीट से निर्दलीय कैंडीडेट के तौर पर विधायक चुना गया। 1996 में उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लगातार चौथी बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। 2002 में अतीक अहदम अपना दल के टिकट पर पांचवीं बार विधायक बना। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। अतीक ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की और लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाली संसद में जा बैठा।
अतीक ने करवाया था उमेश पाल का मर्डर
अतीक अहमद यूपी का खूंखार माफिया था। अतीक पर 100 से अधिक मुकदमे दर्ज थे। एक मामले पर वह साबरमति जेल में बंद था। तभी राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल का मर्डर हो जाता है। उमेश पाल की हत्या अतीक अहमद ने अपने भाई अशरफ के साथ मिलकर जेल में रहते हुए करवाई थी। हत्याकांड में अतीक का बेटा असद समेत एक दर्जन शूटर शामिल थे। पुलिस और यूपी एसटीएफ ने अतीक अहमद के बेटे असद समेत गैंग के चार शूटर्स को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। अतीक की पत्नी, अशरफ की पत्नी, अतीक के बहनोई-बहन, अतीक के जेल में बंद दो बड़े बेटों के अलावा कई अन्य पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। इनमें से अधिकांश सलाखों के पीछे हैं। जबकि बहन, पत्नी और भाई अशरफ की पत्नी, बमबाज गुड्डू मुस्लिम के अलावा एक शूटर फरार चल रहा है। सभी पर पुलिस ने इनाम रखा हुआ है।
अतीक-अशरफ की हत्या
माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल 2023 को गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। वारदात को अंजाम देने का आरोप तीन शूटर्स लवलेश तिवारी, सनी सिंह उर्फ मोहित व अरुण मौर्य पर है।पुलिस ने मौके से इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने तीनों को जेल भेजा दिया था। 13 जुलाई 2023 को तीनों आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। सीजेएम दिनेश गौतम द्वारा चार्जशीट का संज्ञान लिया गया और केस को परीक्षण के लिए जिला जज के सामने प्रस्तुत किया गया। तीनों के खिलाफ आईपीसी कई धारा में चार्जशीट दाखिल की गई। तीनों पर 302, 307, 120बी, 419, 420, 467, 468 व आर्म्स एक्ट की धाराएं दर्ज हैं। अतीक अहमद की मौत के बाद पुलिस ने उसके परिवार पर शिकंजा कसा। वकील, नाते-रिश्तेदारों को दबोचा। जेल में बंद दोनों बेटों पर उमेश पाल हत्याकांड में शामिल होने के आरोप में केस दर्ज किया।
अतीक ने असद को किया था फोन
उमेश पाल की हत्या को लेकर जेल से अतीक अहमद ने अपने बेटे को फोन किया था। इसकी जानकारी अतीक के एक रिश्तेदार ने पुलिस की पूछताछ के दौरान दी। रिश्तेदार ने इस बारे में पुलिस को बताया था कि अतीक अहमद ने असद को फोन लगाया। उस वक्त असद घर पर बिरयानी खा रहा था। अतीक ने असद से कहा क्या कर रहे हो। जिस पर असद ने कहा कि अब्बू बिरयानी खा रहा हूं।। यह सुन अतीक आगबबूला हो गया। उसने कहा कि तुम बिरयानी खा रहे हो और मेरा दुश्मन उमेश मौज कर रहा है। अगर तुमने उमेश को नहीं मारा तो समझ लेना। इसी के बाद असद ने उमेश पाल की हत्या कर दी। हत्याकांड के बाद फोन पर अतीक ने शाइस्ता से कहा था कि उमेश को मारने के बाद 18 वर्ष बाद उसे चैन मिला है, अब जो होगा, सो देखा जाएगा। अतीक ने कहा था कि असद शेर से कम नहीं है, उसने शेर की तरह काम किया है। अब रोने-झगड़ने से कुछ नहीं होगा।
‘नागिन’ बन पूरे परिवार को अतीक ने डसा
उमेश पाल की हत्या कर अतीक अहमद ने सनसनी मचा दी थी। उसे ये यकीन था कि उसका कुछ नहीं होगा। पर उमेश पाल हत्याकांड उसके गले की फांस बन गया। खुद अतीक अहमद की पत्नी ने अपने पति से उमेश पाल की हत्या नहीं करवाने को कहा था। अशरफ भी हत्याकांड के खिलाफ था पर अतीक किसी की नहीं सुनी। अतीक के एक रिश्तेदार ने कहा कि जिस तरह से नागिन अपने बच्चों को जन्म देते ही खा जाती है। कुछ उसी तरह से अतीक अहदम ने अपने जरायम के सम्राज्य को बचाने के लिए पूरे परिवार को डस लिया। बेटा असद मारा गया। भाई अशरफ की हत्या हो गई। दो बेटे जेल में हैं और दो बेटे दर-दर भटक रहे हैं। पत्नी, बहन और भाई की पत्नी फरार है। घर जमींदोज हैं। नाते-रिश्तेदार भी अतीक के जहर से नहीं बच पाए। ससुर से लेकर साले सभी सलाखों के पीछे हैं।
पंडित नेहरू की सीट से चुना गया था सांसद
जिस फूलपुर लोकसभा सीट से 1952, 1957 और 1962 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जीतते आ रहे थे, उस फूलपुर सीट से 2004 में सपा की टिकट पर अतीक अहमद निर्वाचित हुआ। इस तरह अतीक अहमद ने उस फूलपुर सीट को हथिया लिया, जिसपर कभी पंडित नेहरू का दबदबा रहता था। फिर फूलपुर माफिया अतीक अहमद का गढ़ बन गया। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अतीक अहमद की हत्या हो गई थी पर चुनाव में उसका शोर सुनाई दिया। अब एकबार फिर फूलपुर में उपचुनाव के लिए वोटिंग हैं। ऐसे में अतीक अहमद चुनाव प्रचार के दौरान दोबारा जिंदा हो गया है। अतीक पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने हमलावर रहे तो पूजा पाल भी माफिया की करतूतों को जनता के बीच जाकर बयां कर रही हैं।
जानें फूलपुर का अंकगणित
फूलपुर सीट से सपा ने मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी को प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी ने फूलपुर की पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे पूर्व विधायक दीपक पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है। दीपक पटेल 2012 में करछना विधानसभा सीट से बसपा के विधायक रह चुके हैं। फूलपुर में कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। इसमें से 5 निर्दलीय हैं। 12 प्रत्याशियों में 2 महिला प्रत्याशी भी हैं, वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। फूलपुर विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 70 हजार यादव मतदाता हैं। इसके बाद करीब 65 हजार दलित, 45 हजार मुस्लिम, 35 हजार कुर्मी, 35 हजार ब्राह्मण, 20 हजार ठाकुर के साथ ही 35 हजार बिंद, कुशवाहा, मौर्य और 40 हजार अन्य मतदाता हैं।
सबसे ज्यादा यहां से जीती सपा
फूलपुर विधानसभा सीट के इतिहास की अगर बात करें तो परिसीमन से पहले यह विधानसभा सीट झूंसी के नाम से जानी जाती थी। 1974 से 2022 तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल के प्रत्याशी दो-दो बार चुनाव जीत चुके हैं जबकि जनता पार्टी, जनता पार्टी सेकुलर और बसपा को एक-एक बार और समाजवादी पार्टी को चार बार सीट पर जीत मिली है। फूलपुर विधानसभा के रण में प्रत्याशियों के सामने चुनौतियां ही चुनौतियां हैं। बदले माहौल में बीजेपी प्रत्याशी दीपक पटेल के सामने जीत हासिल करने की चुनौती है। बीजेपी की उम्मीदें ध्रुवीकरण पर टिकी हुई हैं। 2017 एवं 2022 में बीजेपी यह सीट जीत चुकी है। इस बार पार्टी की निगाह हैट्रिक पर है।