Vastu Shastra : घर का मुख्य दरवाजा न केवल आपके निवास का प्रवेश द्वार होता है, बल्कि यह आपके जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का भी प्रमुख माध्यम होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य दरवाजे की दिशा और स्थिति आपकी सेहत, धन, और समृद्धि पर गहरा असर डालती है।
वास्तु के अनुसार दिशाओं का प्रभाव
उत्तर दिशा का दरवाजा
उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना जाता है। इस दिशा में मुख्य दरवाजा होना आर्थिक समृद्धि और स्थायित्व का प्रतीक है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और घर में धन की वृद्धि करती है।
पूर्व दिशा का दरवाजा
पूर्व दिशा को सूर्य की दिशा कहा जाता है। यहां मुख्य दरवाजा होने से घर में स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है। यह दिशा नई शुरुआत और जीवन में प्रगति का संकेत देती है।
दक्षिण दिशा का दरवाजा
दक्षिण दिशा में मुख्य दरवाजा वास्तु के अनुसार कम अनुकूल माना जाता है। यह दिशा अनावश्यक खर्चों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकती है। हालांकि, कुछ विशेष उपायों से इस दिशा को संतुलित किया जा सकता है।
पश्चिम दिशा का दरवाजा
पश्चिम दिशा में मुख्य दरवाजा सामाजिक प्रतिष्ठा और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। यह दिशा व्यापार और नौकरी में तरक्की के लिए लाभकारी हो सकती है।
मुख्य दरवाजे की स्थिति और सजावट
मुख्य दरवाजे के पास गंदगी या अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती है। दरवाजे पर शुभ संकेत जैसे स्वस्तिक या ओम का चिह्न लगाना सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। घर का मुख्य दरवाजा हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए, ताकि घर में ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
वास्तु दोष सुधार के उपाय
अगर आपके घर का मुख्य दरवाजा वास्तु के अनुसार सही दिशा में नहीं है, तो निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं: जैसे मुख्य दरवाजे पर पीले या लाल रंग का प्रयोग करें दरवाजे के दोनों ओर पौधे रखें, जो ऊर्जा को संतुलित करें। यदि दक्षिण दिशा में दरवाजा है, तो उसके पास तांबे का पिरामिड या वास्तु दोष निवारक यंत्र रखें।
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