UP criminal property: उत्तर प्रदेश सरकार ने अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जब्त कर पीड़ितों में बांटने के लिए बड़ा कदम उठाया है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने इसको लेकर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 107 और 107(6) के तहत SOP जारी की है। नए नियम के तहत, अपराधियों की संपत्ति को जिले के DM नीलाम कर प्रभावित लोगों में बाटेंगे।
अगर आरोपी 14 दिनों में अपनी संपत्ति पर कोई कानूनी जवाब नहीं देता, तो कोर्ट एक पक्षीय आदेश पारित कर सकता है। इसके बाद डीएम इन संपत्तियों की नीलामी कर सकते हैं, और पीड़ितों में उनका वितरण दो महीने के भीतर सुनिश्चित किया जाएगा। यह कदम सरकार की माफिया और अपराधियों पर लगाम कसने की नीति का हिस्सा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पहले से ही इन संपत्तियों का उपयोग गरीबों के लिए आवास बनाने में कर रही है।
SOP में दिए गए दिशानिर्देश
UP डीजीपी द्वारा जारी SOP के अनुसार, जब UP पुलिस अपराध से अर्जित संपत्तियों को चिन्हित करती है, तो पुलिस कप्तान या पुलिस कमिश्नर की अनुमति से अदालत में प्रार्थना पत्र दिया जाएगा। अदालत आरोपी को सफाई देने का मौका देती है। अगर आरोपी संतोषजनक जवाब देने में विफल रहता है, तो संपत्ति कुर्क कर ली जाती है। इसके बाद डीएम को आदेश दिया जाएगा कि वे पीड़ितों में संपत्ति का वितरण सुनिश्चित करें।
कोर्ट की पुष्टि के बाद कुर्क संपत्तियों को नीलाम कर, अपराध से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाई जाएगी। SOP में यह स्पष्ट किया गया है कि प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायपूर्ण होगी, ताकि पीड़ितों को वास्तविक मदद मिल सके।
सरकार का माफिया विरोधी रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों और माफिया पर सख्त कार्रवाई के आदेश पहले ही दिए थे। प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद की संपत्ति पर गरीबों के लिए आवास बनाए गए थे। लखनऊ में मुख्तार अंसारी की कुर्क संपत्तियों का भी यही उपयोग हो रहा है।
नया कानून और सामाजिक बदलाव
नए कानून से न केवल अपराधियों पर लगाम कसी जाएगी, बल्कि पीड़ितों को भी राहत मिलेगी। यह कदम कानून व्यवस्था को मजबूत करने और जनता में न्याय की भावना को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को अन्य राज्यों में भी उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।