नोएडा (अम्बुजेश कुमार)। मुस्लिमों की बढ़ती आबादी को लेकर बहस एक बार फिर से तेज हो गई है। संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने हिन्दुओं को कम से कम 3 बच्चा पैदा करने की सलाह दी तो सियासी पारा गरमा गया। ओवैसी ने भागवत पर मुसलमानों को बदनाम करने का आरोप लगाया। अभी हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि हिन्दुओं की आबादी तेजी से कम हो रही है जबकि मुसलमानों की आबादी बीते चार पांच दशक में बेतहाशा बढ़ी है। सवाल उठता है कि आबादी के संतुलन को लेकर मोहन भागवत की चिन्ता को सियासी विषय क्यों बनाया जा रहा।
मुस्लिम आबादी बढ़ी, हिन्दू आबादी घटी- रिपोर्ट
देश में हिन्दुओं की आबादी घटी है और मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ी है इसमें कोई शक नहीं। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में भी बताया गया था कि बीते चार पांच दशक में मुस्लिम आबादी में तेजी से इजाफा हुआ है जबकि उसके अऩुपात में हिन्दू आबादी तेजी से घटी है। इसे लेकर आरएसएस प्रमुख (Mohan Bhagwat) ने नागपुर में एक बयान दिया और हिन्दुओं को कम से कम 3 बच्चे पैदा करने की सलाह दी। मोहन भागवत ने कहा कि किसी भी समाज के लिए अगर जनसंख्या दर 2.1 फीसद से कम होती है तो धीरे धीरे उसका अस्तित्व खत्म हो जाता है ऐसे में जरुरी है कि इस संतुलन को बनाए रखा जाए।
बदल चुकी है कई जिलों की डेमोग्रॉफी
वैसे मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की ये चिन्ता बेबुनियाद कत्तई नहीं है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बदलती डेमोग्राफी को लेकर आंकड़े भी जारी किए गए थे जिसमें साफतौर पर ये बताया गया था कि किस तरह से मुस्लिम आबादी के मुकाबले हिन्दू आबादी तेजी से घट रही है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2001 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि की दर 17.7 फीसद रही, इसमें हिन्दू आबादी 16.8 फीसद और मुस्लिम आबादी 24.6 फीसद बढ़ी, ईसाई 15.5, सिख 8.4, बौद्ध 6.1 और जैन 5.4 फीसद बढ़े, 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की आबादी 121 करोड़ थी , इसमें 96 करोड़ 63 लाख हिन्दू और 17 करोड़ 22 लाख मुस्लिम रहे।
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मोहन भागवत की सलाह से भड़के ओवैसी
इन आंकड़ों से तस्वीर और साफ हो जाती है कि असल में मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की चिन्ता का कारण क्या है। ऐसे में हम दो हमारे दो का नारा देने के वक्त में मोहन भागवत का ये बयान सियासी हंगामे की वजह भी बन गया है। इसमें सबसे आगे आए हैं असदुद्दीन ओवैसी, जिन्होंने मोहन भागवत पर मुसलमानों को बदनाम करने का आऱोप लगाया है। ओवैसी के मुताबिक मोहन भागवत मुसलमानों को ज्यादा बच्चा पैदा करने का जिम्मेदार बताकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। ओवैसी ने दावा किया कि मुस्लिम समाज में जन्म दर सबसे कम है।
भागवत की सलाह क्या वाकई गैरजरूरी ?
कुल मिलाकर मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान पर सियासत औऱ ज्यादा गरमानी तय है लेकिन बड़ा सवाल ये कि क्या किसी समाज को अपना अस्तित्व बचाए रखने का अधिकार नहीं है। और क्या जिस तरह से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है उससे निपटने के लिए अभी से तैयार रहना जरूरी नहीं। बंगाल इसका बड़ा उदाहरण है जहां के दर्जनों जिलों में हिन्दू अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। यूपी में भी दर्जन भर जिले ऐसे हैं जिनकी डेमोग्राफी में बीते दो दशकों में काफी बदलाव आया है। ऐसे में मोहन भागवत की सलाह पर सियासत क्या वाकई वाजिब है।