Lok Sabha MPs Housing Allocation : लोकसभा हाउसिंग कमेटी ने 18वीं लोकसभा के सांसदों को टाइप-5, टाइप-6, टाइप-7 और टाइप-8 के घर दिए हैं। नए सांसदों को टाइप-5 घर मिले हैं, जबकि दूसरी और तीसरी बार के सांसदों को टाइप-6, चौथे और पांचवे बार के सांसदों को टाइप-7 घर मिले हैं। आठ बार सांसद बनने वालों को टाइप-8 घर मिले हैं।
लोकसभा हाउसिंग कमेटी ने 18वीं लोकसभा के सांसदों के लिए सरकारी घरों का आवंटन कर दिया है। इस बार कुल 282 नए सांसदों को टाइप-5 के घर मिले हैं, जो दिल्ली के प्रमुख इलाकों जैसे साउथ एवेन्यू, नॉर्थ एवेन्यू और मीना बाग में स्थित हैं। पिछली बार 17वीं लोकसभा के 158 नए सांसदों को भी इसी तरह के घर मिले थे।
सांसदों को किस तरह के घर मिले?
इस बार सांसदों को उनके अनुभव और कार्यकाल के आधार पर विभिन्न प्रकार के घर दिए गए हैं। जो सांसद दूसरी या तीसरी बार चुने गए, उन्हें टाइप-6 घर मिले। वहीं, जो सांसद चौथी, पांचवीं या छठी बार जीते हैं, उन्हें लुटियंस दिल्ली में स्थित टाइप-7 घर दिए गए हैं। सबसे बड़े और आलीशान टाइप-8 घर उन सांसदों को मिले हैं जिन्होंने आठ बार चुनाव जीते हैं या फिर पूर्व मुख्यमंत्री हैं।
टाइप-6 घर पाने वाले मशहूर सांसद
कुछ नए सांसदों को सुरक्षा के मद्देनजर टाइप-6 घर दिए गए हैं। इनमें प्रियंका गांधी, कंगना रनौत, बांसुरी स्वराज, कमलजीत सहरावत, अरुण गोविल और यूसुफ पठान जैसे लोग शामिल हैं। इसके अलावा, एनसीपी सांसद सुनेत्रा पवार को भी एक खास टाइप-7 घर मिला है, जो केंद्रीय पूल से आवंटित किया गया है।
सबसे शानदार और विशाल बंगला
टाइप-8 घर सबसे बड़े और शानदार होते हैं। इनका आकार लगभग तीन एकड़ होता है और इनमें आठ कमरे होते हैं—5 बेडरूम, 1 हॉल, 1 डाइनिंग रूम और 1 स्टडी रूम। साथ ही, इन घरों में एक बैठकखाना और एक सर्वेंट क्वार्टर भी होता है। ये घर उच्च पदों पर बैठे नेताओं, मंत्रियों और सुप्रीम कोर्ट के जजों को दिए जाते हैं।
टाइप-7 घर
बड़ा और आलीशान
टाइप-7 घर का आकार एक से डेढ़ एकड़ के बीच होता है और इनमें 4 बेडरूम होते हैं। ये घर राज्य मंत्रियों, दिल्ली हाईकोर्ट के जजों और पांच बार सांसद बनने वालों को आवंटित किए जाते हैं। राहुल गांधी का घर भी तुगलक लेन पर स्थित टाइप-7 घर है।
टाइप-5 घर
नए सांसदों के लिए
नए सांसदों को आम तौर पर टाइप-5 के घर मिलते हैं। इसमें चार प्रकार होते हैंटाइप-5 (ए), (बी), (सी) और (डी)—जो आकार और सुविधाओं के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। इनमें ड्राइंग रूम और बेडरूम की संख्या में फर्क होता है।
कुछ सांसदों को संयुक्त फ्लैट भी मिलते हैं। जो सांसदों को उनकी वरीयता क्रम के अनुसार मिलते हैं।