Sambhal violence: सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर संभल हिंसा के मामले में गिरफ्तारी का खतरा मंडराता हुआ नजर आ रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनकी याचिका पर इसी साल सुनवाई नहीं हो सकी है, और अब नए साल में 2 जनवरी को मामले की सुनवाई होगी। सर्दियों की छुट्टियों के कारण बर्क की याचिका पर सुनवाई में देरी हुई है, जिससे पुलिस के लिए उन्हें गिरफ्तार करना संभव हो सकता है। सांसद बर्क पर आरोप है कि उन्होंने 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा के दौरान उकसाने का काम किया। हालांकि, बर्क ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को झूठा बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
सांसद जियाउर्रहमान बर्क की मुश्किलें बढ़ी
Sambhal violence मामले में आरोपित सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क की मुश्किलें इस समय बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद बर्क पर नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्हें हिंसा का मुख्य आरोपी माना गया है। हालांकि, बर्क ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर गिरफ्तारी से बचने की कोशिश की थी, लेकिन अब हाईकोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई में देरी हो रही है।
सर्दियों की छुट्टियों के कारण हाईकोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 2 जनवरी 2024 को निर्धारित की गई है। कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार शामिल हैं, याचिका पर सुनवाई करेगी। इससे पहले, बर्क की याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं किया गया है, जिससे पुलिस को गिरफ्तार करने का अधिकार मिल सकता है।
बर्क ने पुलिस कार्रवाई को गलत बताया
सपा सांसद ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 24 नवंबर को जब Sambhal violence हुई, तब वह उत्तर प्रदेश में नहीं थे। बर्क का कहना है कि वह बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे और वहां से लौटने के बाद उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की थी। बर्क का आरोप है कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर उनके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज की है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि एफआईआर को रद्द किया जाए और उनके खिलाफ गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए।
इस समय सांसद बर्क के लिए उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे और गिरफ्तारी की आशंका एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। इस मामले पर हाईकोर्ट का अंतिम फैसला आने तक उनकी गिरफ्तारी का संकट बने रहने की संभावना है।