Saving vultures: गिद्धों की ये घटना वाकई हैरान करने वाली है,क्योंकि गिद्ध हमारे पर्यावरण में कितने महत्वपूर्ण होते हैं। गिद्ध मरे हुए शरीर खाते हैं, लेकिन वे इसे सिर्फ इसलिए नहीं खाते कि वे भूखे होते हैं, बल्कि इससे वे पूरे इकोसिस्टम को स्वस्थ बनाए रखते हैं।गिद्धों का पेट इतना खास है कि वे किसी भी सड़े-गले मांस को आसानी से पचा लेते हैं, और इस तरह से संक्रमण और बीमारियों को फैलने से रोकते हैं।
गिद्धों की अहम भूमिका
गिद्धों का काम बहुत अनोखा है। जब वे आसमान में उड़ते हैं, तो यह इशारा होता है कि कहीं न कहीं कोई शिकार हुआ है, और वे बचे हुए मांस को खा लेते हैं। बड़े गिद्ध तो हड्डियाँ तक चबा जाते हैं, जिससे कुछ भी बचता नहीं है और बीमारी फैलने के खतरों। से बचाते है।
गिद्धों की गायब होने का कारण
आजकल गिद्धों की संख्या में भारी कमी आ गई है, और इसका मुख्य कारण है डायक्लोफेनैक नामक दवा, जो गायों को दी जाती है। जब गिद्ध इस दवा से प्रभावित मांस खाते हैं, तो वे धीरे-धीरे मर जाते हैं। इसके चलते भारत में गिद्धों की संख्या 96% तक घट चुकी है।
गिद्ध एक बहुत ही वफादार पक्षी होते हैं। वे जीवनभर एक ही साथी के साथ रहते हैं और साल में केवल एक अंडा देते हैं। इसका कारण है उनका आकार और क्षमता, जिससे वे एक से अधिक बच्चों की देखभाल नहीं कर सकते।
गिद्धों को बचाने के लिए उपाय
गिद्धों के संरक्षण के लिए हमें ज़हरीली दवाओं का इस्तेमाल बंद करना होगा और उन्हें एक सुरक्षित वातावरण देना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गिद्धों के लिए उनका प्राकृतिक आहार और जीवनशैली बनाए रखने के उपाय किए जाएं, ताकि वे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बने रहें