Evening Rituals : हिंदू धर्म में कई परंपराएं और मान्यताएं हैं, जिनका पालन लोग सदियों से कर रहे हैं। इनमें से एक मान्यता यह है कि सूर्यास्त के बाद पेड़-पौधों से फूल या पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए। यह परंपरा धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोणों से काफी खास मानी जाती है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
पेड़-पौधों की नींद
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पेड़-पौधों को भी जीवित माना जाता है। माना जाता है कि जैसे इंसान रात को सोते हैं, वैसे ही पेड़-पौधे भी सूर्यास्त के बाद आराम की स्थिति में चले जाते हैं। इस समय उन्हें छेड़ने या नुकसान पहुंचाने से उनकी नींद खराब हो सकती है, जो उनके स्वास्थ्य पर असर डालती है।
जानवरों और कीड़ों का बसेरा
सूर्यास्त के बाद पेड़ों पर छोटे जानवर, पक्षी और कीट पतंगे आराम के लिए आते हैं। अगर इस समय पेड़ों को छेड़ा जाए, तो उनका शांति भंग हो सकता है और वे परेशान हो सकते हैं। यह मान्यता बताती है कि हमें प्रकृति और जीव जंतुओं का सम्मान करना चाहिए।
पूजा के लिए फूल क्यों सुबह तोड़े जाते हैं
धार्मिक दृष्टि से पूजा में ताजे और खुशबूदार फूल चढ़ाना जरूरी माना गया है। सुबह के समय फूल खिलते हैं और उनकी खुशबू सबसे अच्छी होती है। जबकि रात में ये मुरझा जाते हैं। इसलिए पूजा के लिए फूल सुबह तोड़ने की सलाह दी जाती है।
कार्बन डाइऑक्साइड और स्वास्थ्य
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, दिन में पेड़ पौधे ऑक्सीजन छोड़ते हैं और रात में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं। इसलिए रात में पेड़ों के पास जाने या उनके पत्ते पौधे तोड़ने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। यह सलाह पर्यावरण और हमारी सेहत दोनों के लिए फायदेमंद है।
मानसिक और शारीरिक विकास पर असर
रात के समय पेड़ पौधे अपनी ऊर्जा को संचित करते हैं, जो उनके विकास के लिए जरूरी है। अगर उन्हें इस समय परेशान किया जाए, तो यह उनके विकास और हमारे मानसिक शांति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।