Guru Ravidas Jayanti गुरु रविदास जयंती भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह पर्व महान संत, कवि और समाज सुधारक गुरु रविदास की याद में मनाया जाता है। गुरु रविदास का जन्म 15वीं से 16वीं शताब्दी के बीच वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर गांव में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनके पिता का नाम संतोष दास और माता का नाम कर्मा देवी था। वे एक मोची परिवार से थे, और उनके पिता जूते बनाने का काम करते थे।
गुरु रविदास बचपन से ही आध्यात्म और भक्ति की ओर झुके हुए थे। उन्होंने समाज में फैली ऊंच-नीच और जाति-पाति की बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। उनका मानना था कि सभी इंसान बराबर हैं और भगवान के लिए कोई ऊंचा या नीचा नहीं होता। वे भक्ति आंदोलन के बड़े संतों में से एक थे और उन्होंने अपने दोहों और कविताओं के जरिए प्रेम, समानता और भाईचारे का संदेश दिया।
गुरु रविदास की शिक्षाएं और उनके दोहे
Guru Ravidas ने लोगों को जात-पात के भेदभाव से ऊपर उठकर प्रेम और मानवता की राह पर चलने की सीख दी। उनके कई दोहे और छंद आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। यहां उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे दिए गए हैं
“मन चंगा तो कठौती में गंगा”
मतलब, अगर आपका मन शुद्ध और साफ है, तो हर जगह पवित्रता है।
“जो मन चंगा और सोच नेक, वही असली भक्त है”
यानी असली भक्ति दिल से होती है, बाहरी दिखावे से नहीं।
“व्यक्ति न तो अपने जन्म से बड़ा होता है, न ही अपने पद से, वह अपने गुणों और कर्मों से महान बनता है”
यह दोहा बताता है कि इंसान की पहचान उसके अच्छे कर्मों से होती है, न कि उसकी जाति या समाज में उसके ओहदे से।
गुरु रविदास की शिक्षाएं गुरु ग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं, जिससे पता चलता है कि उनका संदेश कितना गहरा और प्रभावशाली था।
कैसे मनाई जाती है गुरु रविदास जयंती
गुरु रविदास जयंती माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर फरवरी महीने में आती है। इस दिन लोग उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके सम्मान में खास पूजा-पाठ करते हैं।
गुरु रविदास के अनुयायी इस दिन नगर कीर्तन निकालते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर स्थित श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर में भव्य समारोह आयोजित होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग शामिल होते हैं।
इस दिन उनके दोहे पढ़े जाते हैं, प्रवचन होते हैं और लंगर (भंडारा) का आयोजन किया जाता है।
लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और सोशल मीडिया पर उनके दोहे शेयर करते हैं।
गुरु रविदास की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक क्यों हैं
Guru Ravidas ने जो बातें उस समय कही थीं, वे आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने हमेशा इंसानियत, समानता और भाईचारे की बात की। आज भी समाज में भेदभाव, ऊंच-नीच और जाति के नाम पर कई तरह की दिक्कतें हैं। ऐसे में गुरु रविदास की सीख हमें बताती है कि असली पूजा और भक्ति प्रेम और अच्छे कर्मों में है, न कि जात-पात और ऊंच-नीच में।
गुरु रविदास का संदेश हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपनी सोच को ऊंचा रखना चाहिए और सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए। उनके अनुसार, सच्ची भक्ति वही है जिसमें इंसान खुद को और दूसरों को समान मानकर प्रेम से रहे।