Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक बहुत ही खास त्योहार है, जिसे हर साल फाल्गुन महीने की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यही वो दिन है जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। शिव भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं और शिवलिंग का जलाभिषेक करके भगवान भोलेनाथ से सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद मांगते हैं।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाता है, तो उसे बहुत शुभ फल मिलता है। वहीं, अगर इस खास दिन पर कुछ विशेष मंदिरों के दर्शन कर लिए जाएं, तो जीवन की परेशानियां और दुख-दर्द खत्म हो जाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही 5 प्रसिद्ध शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दर्शन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में स्थित है और इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र धाम माना जाता है। मान्यता है कि काशी नगरी को खुद महादेव ने बसाया था, इसलिए इस मंदिर की खास महिमा है।
महाकालेश्वर मंदिर (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर खास इसलिए भी है क्योंकि यहां शिवलिंग दक्षिणमुखी है, जो इसे और भी अद्भुत बनाता है।
सोमनाथ मंदिर (गुजरात)
गुजरात के प्रभास क्षेत्र में स्थित सोमनाथ मंदिर भगवान शिव का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। इस मंदिर पर महमूद गजनवी ने कई बार हमला किया, लेकिन हर बार इसे फिर से बनाया गया।
भीमशंकर मंदिर (महाराष्ट्र)
भीमशंकर मंदिर महाराष्ट्र में स्थित है और यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर नासिक से करीब 120 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है।
नागेश्वर मंदिर (गुजरात)
गुजरात में स्थित नागेश्वर मंदिर भी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव मिलता है।
महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में दर्शन का महत्व
महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में दर्शन करना और पूजा-अर्चना करना बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर इस दिन आप इन खास 5 शिव मंदिरों में से किसी एक के भी दर्शन कर लेते हैं, तो भगवान शिव की अपार कृपा प्राप्त होती है। यह सिर्फ एक धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही एक परंपरा भी है, जिसे भक्त पूरी श्रद्धा के साथ निभाते आ रहे हैं।