Banke Bihari Temple Corridor Dispute Intensifies-वृंदावन स्थित प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में इतनी भीड़ होती है कि रोजाना कई लोग भीड़ के दबाव में बेहोश हो जाते हैं। इसी समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर में सुधार के लिए एक कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई थी। हालांकि, इस योजना को लेकर लगातार विरोध भी हो रहा है।
सरकार ने किया 150 करोड़ का बजट जारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को पेश किए गए बजट में ठाकुर बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए 150 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। इस बजट में 100 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण के लिए और 50 करोड़ रुपये मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए रखे गए हैं। इससे पहले, सरकार ने कुछ साल पहले भी इस योजना का प्रस्ताव रखा था, लेकिन विरोध के कारण मामला कोर्ट तक पहुंच गया और धीरे-धीरे चर्चाएं भी कम हो गईं। अब फिर से कॉरिडोर पर बहस छिड़ गई है।
व्यापारियों और सेवादार का विरोध
कॉरिडोर को लेकर मंदिर से जुड़े सेवायतों और स्थानीय व्यापारियों में नाराजगी देखी जा रही है। बांके बिहारी व्यापार समिति के अध्यक्ष नीरज गौतम ने कहा कि सरकार विकास करना चाहती है, यह अच्छी बात है, लेकिन विकास के नाम पर विनाश न हो। उन्होंने कहा कि कॉरिडोर बनने से भीड़ पर नियंत्रण नहीं होगा, क्योंकि अयोध्या और काशी में भी बड़ी-बड़ी सड़कों के बावजूद भीड़ का दबाव बना रहता है।
रोज़गार छिनने का डरये
मंदिर के पास दुकान चलाने वाले व्यापारी नारायण अग्रवाल ने कहा कि वे सरकार के विरोध में नहीं हैं, लेकिन उनकी रोजी-रोटी का सवाल है। अगर दुकानें हटा दी गईं, तो वे कहां जाएंगे? उन्होंने सरकार से अपील की कि विकास कार्यों के साथ-साथ गरीबों और व्यापारियों के हितों का भी ध्यान रखा जाए।
सेवायतों का सख्त रुख
मंदिर सेवायत अशोक गोस्वामी ने कहा कि सरकार पिछले तीन सालों से कॉरिडोर बनाने की बात कर रही है, लेकिन इसका लगातार विरोध हो रहा है। अब फिर से 150 करोड़ रुपये का बजट पास कर दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गोस्वामी समाज अपनी जमीन किसी भी हाल में नहीं देगा और कॉरिडोर नहीं बनने देंगे। अगर सरकार जबरदस्ती करेगी, तो इसके खिलाफ ठोस कदम उठाया जाएगा।
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर सरकार और स्थानीय लोगों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सरकार इसे विकास कार्य मान रही है, जबकि व्यापारियों और सेवायतों को रोजगार और परंपराओं पर खतरा महसूस हो रहा है। अब देखना होगा कि सरकार इस विवाद को कैसे सुलझाती है।