Women’s Day Special: हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समाज में उनके योगदान को सम्मान देना है। महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो या खेल। इस खास अवसर पर जानते हैं उत्तर प्रदेश की पहली मुस्लिम महिला विधायक बेगम कुदसिया ऐजाज रसूल की कहानी जिन्होंने न केवल राजनीति में बल्कि खेल और सामाजिक कार्यों में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लाहौर में जन्म.. यूपी में बनीं विधायक
बेगम कुदसिया ऐजाज रसूल का जन्म 2 अप्रैल 1909 को ब्रिटिश भारत के लाहौर में हुआ था। उनका विवाह 1929 में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के संडीला के जमींदार नवाब ऐजाज रसूल से हुआ। शादी के दो साल बाद उनके पिता सर जुल्फिकार अली खान का निधन हो गया जिसके बाद उन्होंने अपने पति के साथ राजनीति में कदम रखा और मुस्लिम लीग में शामिल हो गईं। 1937 के चुनाव में उन्होंने गैर आरक्षित सीट से जीत हासिल कर उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुनी जाने वाली पहली मुस्लिम महिला विधायक बनीं। यह उस दौर में एक बड़ी उपलब्धि थी जब महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बेहद सीमित थी।
संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य
बेगम कुदसिया ऐजाज रसूल राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाने के साथ-साथ भारतीय महिला हॉकी महासंघ की अध्यक्ष भी बनीं। इसके अलावा वह संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य थीं जिन्हें भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनका योगदान भारतीय लोकतंत्र और संविधान निर्माण में बेहद अहम रहा।
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मुस्लिम लीग भंग होने के बाद कांग्रेस में हुईं शामिल
बेगम कुदसिया ऐजाज रसूल ने 1937 से 1940 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद की उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1950 में मुस्लिम लीग के भंग होने के बाद उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दामन थाम लिया और राज्यसभा सदस्य बनकर संसद पहुंचीं। इसके बाद 1969 से 1989 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य रहीं।
पद्म भूषण सम्मान से नवाजी गईं
बेगम कुदसिया ऐजाज रसूल को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान “पद्म भूषण” से सम्मानित किया गया। उन्होंने राजनीति के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण और खेल प्रशासन में भी अपनी भूमिका निभाई।बेगम कुदसिया ऐजाज रसूल की कहानी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने न केवल राजनीतिक क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया बल्कि महिला सशक्तिकरण और खेल जगत में भी योगदान दिया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उनकी उपलब्धियों को याद करना यह दर्शाता है कि सही अवसर मिलने पर महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकती हैं।