Noida News: उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। गाजियाबाद में तैनात जीएसटी डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह की सोमवार को नोएडा सेक्टर-75 स्थित एपेक्स एथेना सोसायटी के 15वें फ्लोर से गिरकर मौत हो गई। पुलिस ने शुरुआती जांच में इसे आत्महत्या बताया है लेकिन संजय सिंह की मौत के पीछे कैंसर से जंग जीतने के बाद जिंदगी से हार जाने का सवाल उठ रहा है।
कमिश्नर के साथ कैसे हुआ हादसा?
सोमवार सुबह करीब 10:30 से 10:45 बजे के बीच डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह सोसायटी की 15वीं मंजिल से नीचे गिर गए। सूचना मिलते ही सेक्टर-113 थाना पुलिस मौके पर पहुंची। बताया जा रहा है कि घटना के समय उनकी पत्नी अपर्णा सिंह घर पर थीं, जबकि उनके बच्चे बाहर गए हुए थे। संजय सिंह कुछ साल पहले कैंसर से पीड़ित थे लेकिन उन्होंने मजबूती से लड़ाई लड़ी और पिछले साल से फिर से ऑफिस जाना शुरू कर दिया था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैंसर को मात देने वाले संजय जिंदगी की जंग में क्यों हार गए?
सरकारी टारगेट का दबाव बना वजह?
सूत्रों के मुताबिक संजय सिंह पर एमनेस्टी स्कीम के तहत व्यापारियों को जोड़ने का सरकारी टारगेट पूरा करने का दबाव था। प्रदेश सरकार ने इस योजना को लागू करते हुए हर अधिकारी को रोजाना पांच व्यापारियों को जोड़ने का लक्ष्य दिया था। टारगेट पूरा न करने पर निलंबन का खतरा था। बताया जा रहा है कि गाजियाबाद में तैनात संजय सिंह इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहे थे। इसी तनाव में वह मानसिक रूप से परेशान थे। सरकारी टारगेट के दबाव को उनकी मौत की वजह बताया जा रहा है। पुलिस ने कहा कि अब तक कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। सोसायटी के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। परिवार की तरफ से अब तक कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है।
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सरकारी नौकरी में टारगेट का दबाव कितना घातक?
आमतौर पर कॉरपोरेट सेक्टर (Noida News) में टारगेट पूरा करने के दबाव में आत्महत्याएं देखी जाती रही हैं, लेकिन यह मामला सरकारी नौकरी में टारगेट से जुड़े तनाव को उजागर करता है। प्रदेश सरकार की एमनेस्टी स्कीम के तहत 1200 अफसरों में 1000 पर निलंबन का खतरा मंडरा रहा है। एमनेस्टी योजना स्वैच्छिक है लेकिन अधिकारियों पर इसे जबरदस्ती लागू करने का दबाव बनाया जा रहा है। इसमें अब तक प्रदेश में 25,000 कारोबारियों का पंजीकरण हुआ है। योजना को सख्ती से लागू करने के लिए अधिकारियों पर निलंबन की तलवार लटकाई गई थी।
क्या मौत की असली वजह सरकारी टारगेट है?
हालांकि परिवार ने अब तक सरकारी टारगेट को मौत की वजह के रूप में स्पष्ट रूप से नहीं बताया है लेकिन जीएसटी विभाग में काम करने वाले उनके सहयोगियों का मानना है कि वह इस दबाव की वजह से मानसिक तनाव में थे। नोएडा पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और उनके फोन कॉल, सीसीटीवी फुटेज, पारिवारिक बयान और अन्य सुरागों के आधार पर निष्कर्ष निकालेगी। यह आत्महत्या थी या सरकारी टारगेट के दबाव का नतीजा? इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में पुलिस जांच से साफ होगा।