Lalit Modi Vanuatu citizenship इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी ने भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन दिया है। उन्हें वानुअतु की नागरिकता प्रदान कर दी गई है। ललित मोदी पर धन शोधन और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं। उन्होंने 2010 में जांच एजेंसियों से बचने के लिए भारत छोड़ दिया था और तभी से विदेश में रह रहे हैं।
अब प्रत्यर्पण और मुश्किल
वानुअतु की नागरिकता मिलने के बाद ललित मोदी का भारत प्रत्यर्पण और मुश्किल हो गया है। यह देश प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप समूह है और प्रत्यर्पण मामलों में पहले से ही बदनाम है। इस देश के कानून भारत की एजेंसियों के लिए बाधा बन सकते हैं, जिससे ललित मोदी को वापस लाना और भी मुश्किल हो सकता है।
भारतीय उच्चायोग में किया आवेदन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी दी कि ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए आवेदन किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह लंबे समय से लंदन में रह रहे हैं। इससे पहले मेहुल चोकसी ने भी एंटीगुआ की नागरिकता लेकर भारत से दूरी बना ली थी, और अब ललित मोदी ने भी वैसा ही किया है।
अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स के अनुसार, ललित मोदी को 30 दिसंबर 2024 को वानुअतु की नागरिकता मिली।
भारत सरकार क्या करेगी
रणधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार कानून के तहत ललित मोदी के खिलाफ हर संभव कार्रवाई करेगी। ललित मोदी पर 2009 में आईपीएल के 425 करोड़ रुपये के टीवी सौदे में अनियमितता के आरोप हैं। यह सौदा वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप के साथ किया गया था। इस मामले में जांच एजेंसियां सिर्फ एक बार ही उनसे पूछताछ कर पाईं, और उसके बाद ललित मोदी देश छोड़कर ब्रिटेन चले गए।
वानुअतु की नागरिकता कैसे मिली?
अब ललित मोदी जिस देश के नागरिक बन चुके हैं, वह प्रशांत महासागर में स्थित 80 छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है।
इस देश की कुल जनसंख्या केवल 3 लाख के करीब है।
1980 में इसे फ्रांस और ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली थी।
यहां की सरकार नागरिकता निवेश कार्यक्रम (Citizenship by Investment) के तहत नागरिकता देती है।
इस प्रक्रिया के तहत करीब 1.3 करोड़ रुपये देकर कोई भी यहां की नागरिकता ले सकता है।
यानि वानुअतु की नागरिकता लेना बेहद आसान है, और शायद इसी वजह से ललित मोदी ने इसे चुना।