Purnia Land Broker Scam: बिहार के पूर्णिया में जमीन के खेल का ऐसा अनोखा दांव सामने आया है, जिसने सभी को चौंका दिया है! स्थानीय भूमि दलालों के एक समूह ने संपत्ति की कीमतें बढ़ाने के लिए खुद के पैसे से एक पुल का निर्माण कर दिया। मकसद? लोगों को यह भरोसा दिलाना कि सरकार यहां कोई बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट ला रही है, जिससे इलाके की जमीन के दाम बढ़ जाएं। जैसे ही यह खबर फैली, स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। कुछ इसे बिहार की ‘जुगाड़ू मानसिकता’ का उदाहरण मान रहे हैं, तो कुछ इसे ठगी कह रहे हैं। अब सवाल यह है—क्या यह पुल अपने मकसद में सफल होगा या प्रशासन इसे गिरा देगा?
कैसे हुई इस ‘मिनी सरकार’ की शुरुआत?
Purnia में जमीन की कीमतें बढ़ाने के लिए कुछ दलालों ने एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने ऐसा माहौल बनाने की ठानी जिससे लगे कि सरकार यहां कोई बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लेकर आ रही है। इसका सबसे आसान तरीका? एक पुल बना दो! और बस, शुरू हो गया यह असामान्य निर्माण कार्य।
है ना ग़ज़ब का बिहार ..!
पूर्णिया- ज़मीन के ब्रोकर सब मिलकर ख़ुद के पैसे से पूल बना दिया ताकि वहां के लोगों को लगे सरकार कोई बड़ा प्रोजेक्ट लेकर आ रही है है और वहां के ज़मीन की क़ीमत अधिक हो जाये ..!#Bihar #Purniya pic.twitter.com/Xdkl2q1lnZ
— Mukesh singh (@Mukesh_Journo) March 28, 2025
स्थानीय लोगों ने जब इलाके में एक अधबना पुल देखा, तो अटकलें तेज हो गईं। कुछ लोगों ने माना कि यह सरकार की कोई नई योजना होगी, लेकिन जब सच्चाई सामने आई तो सब हैरान रह गए। यह किसी सरकारी योजना का हिस्सा नहीं था, बल्कि पूरी तरह से दलालों की चाल थी ताकि इलाके में निवेश बढ़े और जमीन के रेट आसमान छू लें!
क्या कह रहे हैं स्थानीय लोग?
इस Purnia खबर के सामने आते ही लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोग इसे बिहार की जुगाड़ू प्रवृत्ति का एक और उदाहरण मान रहे हैं, तो कुछ इसे सीधे-सीधे धोखाधड़ी कह रहे हैं।
“यहां के दलालों की सोच को सलाम! सरकार से उम्मीद लगाने से अच्छा, खुद ही विकास कर लिया,” एक स्थानीय दुकानदार ने मजाकिया लहजे में कहा। वहीं, कुछ लोगों को शक है कि यह पूरी साजिश किसी बड़े रियल एस्टेट सिंडिकेट का हिस्सा हो सकती है।
बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा सवाल
यह घटना बिहार में बुनियादी ढांचे के विकास पर भी सवाल खड़े कर रही है। जहां एक ओर सरकार अरबों रुपये खर्च करके पुल और सड़कें बना रही है, वहीं दूसरी ओर निजी लोग बाजार को प्रभावित करने के लिए खुद निर्माण कार्य करने लगे हैं। हाल ही में, सुपौल जिले में एक निर्माणाधीन सरकारी पुल ढह गया था, जिससे कई लोगों की जान चली गई थी। ऐसे में यह घटना यह भी दर्शाती है कि कभी-कभी निजी प्रयास सरकारी ढांचे से अधिक प्रभावी हो सकते हैं—लेकिन सही उद्देश्य के लिए नहीं।
अब देखना यह है किPurnia प्रशासन इस पर क्या कदम उठाएगा। क्या यह पुल खड़ा रहेगा और अपने मकसद में सफल होगा, या अधिकारियों की जांच का सामना करेगा? फिलहाल, यह पूरा मामला सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय अड्डों तक चर्चा का विषय बना हुआ है!