Hyderabad University : हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास स्थित 400 एकड़ जमीन पर पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार न्यायिक को तत्काल कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र का दौरा करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक इस इलाके में किसी भी तरह की कटाई पर पूरी तरह से रोक रहेगी।
क्या सच में हो रही है बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई?
गुरुवार को सुनवाई के दौरान पर्यावरण मामलों में न्यायमित्र के रूप में कार्यरत वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर ने अदालत के सामने विभिन्न समाचार रिपोर्टों का हवाला दिया। इन रिपोर्टों में दावा किया गया था कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए दोपहर 3:30 बजे तक अंतरिम रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया और फिर 3:45 बजे इस मामले की पुनः सुनवाई की।
छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का बढ़ता विरोध
इस जमीन को लेकर हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र भी मुखर हो गए हैं और उन्होंने कटाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। छात्रों का मानना है कि यह भूमि पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है और इसे किसी भी तरह से विकसित करना पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक होगा। तेलंगाना उच्च न्यायालय पहले ही 3 अप्रैल तक इस क्षेत्र में सभी निर्माण और कटाई पर रोक लगाने का आदेश दे चुका था। इसके बावजूद सरकार और संबंधित एजेंसियों द्वारा इस भूमि को राज्य की संपत्ति बताते हुए औद्योगिक विकास की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
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छात्र समूहों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि विश्वविद्यालय परिसर से भारी मशीनों और पुलिस बल को तुरंत हटाया जाए। 31 मार्च के बाद विरोध और तेज हो गया, जब राज्य सरकार ने दावा किया कि यह जमीन विश्वविद्यालय की नहीं, बल्कि सरकारी संपत्ति है। इस बीच, तेलंगाना औद्योगिक अवसंरचना निगम (TGIIC) को भूमि आवंटन के खिलाफ भी याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह निर्णय वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करता है।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि वह तेलंगाना उच्च न्यायालय की कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहा है। साथ ही, उसने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य या पेड़ों की कटाई न की जाए। अब इस मामले में आगे क्या फैसला आता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।