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6 April,एक तारीख जिसने बदल दी भारतीय राजनीति की तस्वीर ,जनसंघ से मोदी युग तक की कहानी

6 अप्रैल बीजेपी के लिए ऐतिहासिक दिन है। जनसंघ से शुरू होकर मोदी युग तक, पार्टी ने लंबा सफर तय किया है। संगठन, विचारधारा और सेवा की भावना इसकी सबसे बड़ी ताकत है।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
April 6, 2025
in राष्ट्रीय
BJP Foundation Day
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BJP Foundation Day: भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में कुछ तारीखें सिर्फ कैलेंडर में नहीं होतीं, बल्कि वो वक्त की दिशा ही बदल देती हैं। 6 अप्रैल ऐसी ही एक तारीख है, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नींव रखी गई। आज जब बीजेपी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है, आइए जानते हैं इस सफर की पूरी कहानी – 2 सीटों से शुरू होकर 300 से ज्यादा सीटों तक का मजबूत रास्ता।

जनसंघ से हुई शुरुआत,साल 1951 से चल पड़ा कारवां

बीजेपी की जड़ें 1951 में बने भारतीय जनसंघ से जुड़ी हैं, जिसे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने शुरू किया था। उनका सपना था – भारत को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार पर खड़ा करना।
जनसंघ का नारा था “एक देश, एक संविधान”, जो खासकर जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के विरोध से जुड़ा था।

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डॉ. मुखर्जी की रहस्यमयी मौत के बाद पार्टी धीरे-धीरे आगे बढ़ती रही, लेकिन कांग्रेस के दबदबे के कारण वह सीमित दायरे में ही रही।

आपातकाल के बाद जनता पार्टी और फिर नया मोड़

1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के बाद कई विपक्षी दलों ने मिलकर 1977 में जनता पार्टी बनाई। इसमें जनसंघ भी शामिल हुआ। इस गठबंधन ने पहली बार कांग्रेस को हराया, लेकिन RSS से जुड़ाव (डुअल सदस्यता) के मुद्दे पर विवाद हुआ और 1980 में जनसंघ के नेता अलग होकर एक नई पार्टी बनाने को मजबूर हो गए।

6 अप्रैल 1980,बीजेपी का गठन

6 अप्रैल 1980 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई।
अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, भैरो सिंह शेखावत जैसे नेताओं ने कमान संभाली।
पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल का फूल बना जो कीचड़ में खिलता है, जैसे बीजेपी ने कठिन हालातों में खुद को खड़ा किया।

1984,सिर्फ 2 सीटें, लेकिन अटल विश्वास

1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लहर में बीजेपी को सिर्फ 2 सीटें मिलीं।
अटल जी ने कहा था “अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा।”
यह वाक्य आगे चलकर सच साबित हुआ।

राम मंदिर आंदोलन और तेजी से बढ़ता समर्थन

1989 से 1992 के बीच राम जन्मभूमि आंदोलन ने बीजेपी को नई ऊंचाई दी।
आडवाणी की रथयात्रा ने उत्तर भारत में पार्टी का जनाधार मजबूत किया।
1991 में बीजेपी ने 120 से ज्यादा सीटें जीतीं। हालांकि, बाबरी विध्वंस के बाद विवाद बढ़ा, लेकिन पार्टी का समर्थन बना रहा।

वाजपेयी युग ,सरकारें बनीं, गिरीं, और फिर टिकीं

1996 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन सरकार 13 दिन ही चल सकी।

1998 में वाजपेयी दोबारा प्रधानमंत्री बने, पर 13 महीने में सरकार गिर गई।
1999 में उन्होंने NDA गठबंधन बनाकर 5 साल की स्थायी सरकार चलाई।

इसी दौरान पोखरण परमाणु परीक्षण और कारगिल विजय जैसे बड़े फैसले हुए।

2004 की हार और आत्ममंथन

2004 में “इंडिया शाइनिंग” अभियान के बावजूद बीजेपी चुनाव हार गई।
पार्टी ने खुद को नए सिरे से खड़ा करने के लिए संगठन को मजबूत किया, और नए चेहरों को आगे बढ़ाया।

मोदी युग 2014 से अब तक का बुलंद सफर

2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया।
2014 में ‘अबकी बार मोदी सरकार’ के नारे ने लहर बना दी और बीजेपी को अकेले 282 सीटें मिलीं।
2019 में यह आंकड़ा 303 तक पहुंच गया।

अनुच्छेद 370, तीन तलाक, राम मंदिर जैसे फैसलों से पार्टी की विचारधारा को नई ताकत मिली।

2024 में बीजेपी को 240 सीटें मिलीं, और NDA के साथ मिलकर बहुमत हासिल किया। नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचा।

बीजेपी की ताकत, संगठन, सोच और सेवा

बीजेपी की असली ताकत उसका मजबूत संगठन है।जो बूथ स्तर तक फैला हुआ है।
सेवा ही संगठन की सोच से कार्यकर्ता समाज के हर वर्ग से जुड़े हैं।
मोदी, शाह, योगी, नड्डा जैसे बड़े नेता पार्टी को दिशा दे रहे हैं।
पार्टी की विचारधारा में राष्ट्रवाद, स्वदेशी और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की झलक मिलती है।

स्थापना दिवस क्यों है खास?

6 अप्रैल को देशभर में बीजेपी कार्यकर्ता झंडा रोहण, पदयात्रा, सेवा कार्य जैसे कार्यक्रमों से यह दिन मनाते हैं।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के मूल्यों की याद दिलाते हैं और आगे की रणनीति साझा करते हैं।

Tags: BJP Foundation DayIndian Political History
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SYED BUSHRA

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