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HMT Watches : एक दौर की शान और अब भूली बिसरी याद, हर कलाई की जान यह घड़ी,जानिए इसका उदय और पतन

HMT घड़ियों ने एक दौर में पूरे भारत के दिलों पर राज किया, लेकिन तकनीक और डिज़ाइन के साथ न बदल पाने के कारण वो बाज़ार से बाहर हो गई। आज भी HMT की घड़ियों की टन-टन आवाज़ बचपन की यादों का हिस्सा है।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
April 6, 2025
in राष्ट्रीय
HMT Watche
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HMT Watches : 80 और 90 के दशक में अगर किसी के पास कलाई घड़ी होती थी, तो सबसे पहले जो ब्रांड लोगों के दिमाग में आता था, वो था HMT। उस दौर में हर घर में एक न एक HMT घड़ी ज़रूर होती थी। मम्मी की कलाई पर बंधी घड़ी की वो टन-टन आवाज़ आज भी बहुतों की यादों में ताज़ा है। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि कभी देश की सबसे भरोसेमंद घड़ी बनाने वाली ये कंपनी बंद हो गई? चलिए जानते हैं HMT की शुरूआत से लेकर उसके बंद होने तक की पूरी कहानी।

क्या है HMT?

HMT यानी हिंदुस्तान मशीन टूल्स एक सरकारी कंपनी थी, जिसकी शुरुआत 1953 में बेंगलुरु में हुई थी। पहले इसका मकसद इंडस्ट्री के लिए मशीन टूल्स बनाना था। यह काम भारत ने जापानी तकनीक की मदद से शुरू किया था।

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भारत में कैसे बनी HMT घड़ियों की पहचान

भारत की आज़ादी के करीब 15 साल बाद, 1961 में HMT ने सिटीजन कंपनी के साथ मिलकर घड़ियों का निर्माण शुरू किया। अगले ही साल पहली घड़ी तैयार हुई, जिसे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को तोहफे में दी गई। उन्होंने इसे “भारत की घड़ी” का दर्जा दिया। तब से HMT का नाम घर-घर में गूंजने लगा।

एक वक्त था जब सिर्फ HMT ही घड़ियां बनाती थी

करीब 14 साल तक HMT भारत की एकमात्र घड़ी निर्माता कंपनी रही। उसकी एक टैगलाइन थी।”समय की सच्ची पहचान” इस टैगलाइन के साथ कंपनी ने लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बना ली।

घड़ियों के अलावा और क्या-क्या बनाने लगी HMT

1970 के दशक में HMT ने ट्रैक्टर और बियरिंग्स भी बनाना शुरू किया। 1971 में पहला HMT ट्रैक्टर बना और इसने भारत के किसानों के बीच भी पहचान बना ली। धीरे-धीरे ये कंपनी मशीन टूल्स, ट्रैक्टर और घड़ियों के लिए जानी जाने लगी।

90 का दशक बना HMT के लिए चुनौती

जैसे ही 1990 का उदारीकरण आया, विदेशी कंपनियों जैसे टाइटन, केसियो और सिटीजन ने भारतीय बाज़ार में तेज़ी से जगह बनानी शुरू कर दी। HMT उस स्पीड से आगे नहीं बढ़ पाई। वो अब भी पुराने डिज़ाइन और तकनीक पर अटकी रही, जबकि बाकी कंपनियां स्टाइलिश और डिजिटल घड़ियों में इनोवेशन कर रही थीं।

बढ़ता घाटा और बंद होते विभाग

2000 के दशक तक आते-आते HMT के ज़्यादातर प्रोडक्ट्स नुकसान में जाने लगे। लागत बढ़ती गई, बिक्री घटती गई और कंपनी बैंकों के कर्ज़ में डूब गई। 2014 में सरकार ने HMT वॉच और बियरिंग डिवीजन को बंद करने का निर्णय लिया, और 2016 में आखिरी बार HMT घड़ी का उत्पादन किया गया।

क्या अब भी है HMT

पूरा ब्रांड बंद नहीं हुआ है। HMT मशीन टूल्स लिमिटेड अब भी काम कर रही है। 2023 में केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने इसके पुनर्जीवन की बात भी उठाई थी, लेकिन फिलहाल घड़ियों की वापसी को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है। हां, HMT की पुरानी घड़ियां अब भी ऑनलाइन कलेक्टर्स आइटम के रूप में मिल जाती हैं।

Tags: Iconic Indian BrandsIndian Business History
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SYED BUSHRA

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