Daddu Prasad : उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। मायावती सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ नेता दद्दू प्रसाद ने अब सपा का हाथ थाम लिया है। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी को अलविदा कहकर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। दद्दू प्रसाद आगामी विधानसभा चुनाव में सपा की ओर से मानिकपुर सीट से प्रत्याशी हो सकते हैं। गौरतलब है कि वह इस सीट से पहले भी विधायक रह चुके हैं।
बसपा की कोर टीम के कई अहम चेहरे पहले ही सपा में शामिल हो चुके हैं — इनमें इंद्रजीत सरोज और बाबू सिंह कुशवाहा जैसे नाम प्रमुख हैं। अब पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी सपा में लाने की कवायद तेज हो गई है। अखिलेश यादव ने दलित वर्ग को साधने के लिए नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
कौन हैं दद्दू प्रसाद जिन्होंने बसपा को छोड़ा ?
दद्दू प्रसाद ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत वर्ष 1982 में की थी। उन्होंने डीएस-4 संगठन के माध्यम से राजनीति की बुनियादी समझ हासिल की। अब तक वे तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। चित्रकूट जिले की मानिकपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से उन्होंने तीन बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
साल 2007 में जब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी, तो उन्हें ग्राम विकास मंत्री के रूप में कैबिनेट में जगह मिली। इसके साथ ही मायावती ने उन्हें जोनल कोऑर्डिनेटर जैसी अहम जिम्मेदारी भी सौंपी थी। एक समय था जब दद्दू प्रसाद को मायावती के बेहद करीबी नेताओं में गिना जाता था।
अखिलेश ने गर्भजोशी से किया स्वागत
दद्दू प्रसाद के साथ-साथ नगर पालिका अध्यक्ष सलाउद्दीन, बुलंदशहर के देवरंजन नागर और जगन्नाथ कुशवाहा भी सपा में शामिल हुए हैं। लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में अखिलेश यादव ने इन सभी नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया। अखिलेश यादव ने कहा, “मैं दद्दू प्रसाद और उनके साथ आए सभी साथियों का पार्टी में स्वागत करता हूं। आज बड़ी संख्या में लोग समाजवादी पार्टी से जुड़ रहे हैं।
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सलाउद्दीन साहब से कई बार चर्चा हुई और आज वे भी हमारे साथ हैं। देवरंजन पहले से पार्टी से जुड़े रहे हैं और अब पार्टी को और भी मजबूत करेंगे। ये सभी साथी पीडीए की लड़ाई को नई मजबूती देंगे।” इस घटनाक्रम को सपा के लिए एक बड़ा सियासी फायदा माना जा रहा है, वहीं बसपा के लिए यह एक और झटका साबित हो सकता है।