Indian railway news : ट्रेन में सफर करना तो हम सभी को पसंद है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हम यात्रा के दौरान सो जाते हैं और हमारा कीमती सामान चोरी हो जाता है। ऐसे में मन में एक ही सवाल आता है। क्या इसकी जिम्मेदारी रेलवे की है या हमारी खुद की?
ऐसा ही एक मामला 2013 में सामने आया जब एक यात्री नई दिल्ली से नागपुर जा रहा था। वह थर्ड एसी में सफर कर रहा था और सोते समय उसका बैग चोरी हो गया। बैग में लैपटॉप, चार्जर, चश्मा और एटीएम कार्ड जैसी चीज़ें थीं।
यात्री पहुंचा उपभोक्ता फोरम, फिर हाईकोर्ट
इस घटना के बाद उस शख्स ने उपभोक्ता फोरम (कंज़्यूमर कोर्ट) में शिकायत की और रेलवे से 1 लाख रुपये हर्जाने के साथ 84,000 रुपये की भरपाई की मांग की। लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।इसके बाद यात्री ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। उसने दलील दी कि ट्रेन में सुरक्षा देना रेलवे की जिम्मेदारी है, और वो तो सो रहा था, इसलिए उसे पता ही नहीं चला कि कब बैग चोरी हो गया।
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने कंज़्यूमर कोर्ट के फैसले को सही बताया। कोर्ट ने कहा कि ट्रेन में आपका सामान सुरक्षित रखना आपकी खुद की जिम्मेदारी है। सिर्फ इसलिए कि आप सो रहे थे, रेलवे को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोच के दरवाजे खुले थे, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। इसका मतलब है कि चोर बिना किसी रोक-टोक के अंदर घुसा और सामान चुरा ले गया। ऐसे में रेलवे पर इल्ज़ाम नहीं लगाया जा सकता।
रेलवे की सफाई
रेलवे की तरफ से साफ कहा गया कि देशभर में इतनी बड़ी संख्या में लोग ट्रेन से सफर करते हैं। अगर हर चोरी की घटना पर रेलवे हर्जाना देना शुरू कर दे, तो पूरा सिस्टम ही गड़बड़ा जाएगा। रेलवे का कहना है कि हर यात्री को अपने सामान की सुरक्षा खुद करनी चाहिए।
इस फैसले से ये साफ हो गया कि ट्रेन में सफर के दौरान आपको अपने सामान का ध्यान खुद ही रखना होगा। अगर आप सो रहे हैं या लापरवाही बरतते हैं, तो चोरी की जिम्मेदारी आपकी मानी जाएगी, न कि रेलवे की।
Disclaimer:यह लेख जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी कानूनी कदम से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।