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किसने कहा डिजिटल पहुंच अब मौलिक अधिकार,एसिड अटैक पीड़ितों और दृष्टिहीन लोगों के लिए KYC होगी आसान

कोर्ट का विस्तृत आदेश अभी आना बाकी है, लेकिन यह साफ है कि अब सरकार और बैंकिंग सिस्टम को इन निर्देशों को लागू करना होगा।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
May 1, 2025
in राष्ट्रीय
Digital access as a fundamental right
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Digital access as a fundamental right : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए यह साफ कर दिया कि डिजिटल सेवाओं तक पहुंच अब हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मान्यता दी है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने एसिड अटैक झेल चुके और दृष्टिहीन लोगों के लिए जरूरी प्रक्रिया ‘नो योर कस्टमर’ (KYC) को आसान बनाने के लिए कई जरूरी दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।

कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह अहम फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि KYC जैसी डिजिटल प्रक्रियाएं सबके लिए आसान और सुलभ हों, खासकर उनके लिए जो देखने में असमर्थ हैं या जिनका चेहरा किसी कारणवश बिगड़ चुका है। कोर्ट ने यह भी कहा कि डिजिटल एक्सेस, जीवन के अधिकार का हिस्सा है और इसे हर किसी को मिलना चाहिए। अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 15 (भेदभाव से सुरक्षा) के तहत भी यह अधिकार आता है।

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KYC में बदलाव जरूरी

कोर्ट ने माना कि KYC की मौजूदा प्रक्रिया सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। खासतौर पर दृष्टिहीन और एसिड अटैक पीड़ितों के लिए यह प्रक्रिया मुश्किल है। इसलिए कोर्ट ने डिजिटल KYC को ज्यादा समावेशी और सुलभ बनाने के लिए 20 दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों में तकनीकी और नियमों में बदलाव की बात कही गई है।

याचिकाकर्ता कौन थे?

पहली याचिका वकील और एक्सेसिबिलिटी प्रोफेशनल अमर जैन ने दायर की थी, जो खुद पूरी तरह दृष्टिबाधित हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें और बाकी दृष्टिहीन लोगों को KYC पूरी करने में भारी दिक्कत होती है। बिना किसी की मदद के वे यह प्रक्रिया नहीं कर पाते। दूसरी याचिका प्रज्ञा प्रसून नाम की एक एसिड अटैक पीड़िता ने दाखिल की थी। उन्होंने ICICI बैंक में खाता खोलने की कोशिश की, लेकिन डिजिटल KYC में ‘लाइव फोटो’ और ‘आंखें झपकाने’ की अनिवार्यता के चलते उन्हें मना कर दिया गया। सोशल मीडिया पर जब यह मामला सामने आया, तो बैंक ने उन्हें छूट दी, लेकिन उन्होंने याचिका में मांग की थी कि सभी बैंकों को इस तरह के मामलों में विकल्प देने का आदेश दिया जाए।

फैसले का असर

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उन लाखों लोगों के लिए राहत की खबर है, जो अब तक डिजिटल सेवाओं से वंचित थे। यह फैसला बताता है कि तकनीक सबके लिए होनी चाहिए और डिजिटल इंडिया का सपना तभी पूरा होगा जब हर नागरिक तक इसकी पहुंच हो। विशेषज्ञों ने इस फैसले को एक संवैधानिक जीत और सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया।

Tags: digital inclusionfundamental rights
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