Lakhimpur Kheri incident: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। एक चलती बस में 16 वर्षीय दलित नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ और मारपीट का मामला सामने आया है। आरोप है कि कुछ युवकों ने उसे पहले परेशान किया और फिर विरोध करने पर बेरहमी से पीटा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे आमजन और प्रशासन में हड़कंप मच गया है। घटना पढुआ थाना क्षेत्र की बताई जा रही है। सवाल यह उठता है कि आखिर यूपी में दलित बेटियों की सुरक्षा के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या कानून व्यवस्था इतनी कमजोर हो चुकी है?
लखीमपुर खीरी के चलती बस में दलित युवती ने छेड़छाड़ का किया विरोध तो मनचले लड़कों ने दलित युवती की चलती बस में कर दी पिटाई- वीडियो वायरल
मामला लखीमपुर खीरी के पढुआ थाना क्षेत्र का है जहां पर 16 साल की नाबालिग दलित युवती को कुछ लड़के चलती बस में परेशान कर रहे थे उससे छेड़छाड़ कर… pic.twitter.com/o3AsKKpkjZ
— आदित्य तिवारी / Aditya Tiwari (@aditytiwarilive) May 2, 2025
चलती बस में दरिंदगी का नंगा नाच
मिली जानकारी के अनुसार, पीड़िता अपने गांव से कहीं जा रही थी तभी बस में कुछ लड़कों ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। जब युवती ने विरोध किया तो उन आरोपियों ने उसे मारना शुरू कर दिया। वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बस के अंदर कुछ युवक पीड़िता को बेरहमी से पीट रहे हैं। वहां मौजूद अन्य यात्रियों और बस स्टाफ ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन आरोपियों ने उन्हें भी नहीं बख्शा।
पुलिस की तत्परता या दबाव में कार्रवाई?
वीडियो सामने आने के बाद Lakhimpur Kheri पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपियों की पहचान की जा रही है। अपर पुलिस अधीक्षक (पूर्वी) ने कहा कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है—क्या वायरल वीडियो के बिना कार्रवाई होती? क्या कानून तब तक नहीं जागता जब तक मामला सोशल मीडिया पर न आ जाए?
Lakhimpur Kheri और आस-पास के इलाकों में दलित समुदाय के खिलाफ अपराध की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं। खासकर दलित महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा, बलात्कार और हत्या के मामले चिंताजनक हैं। क्या उत्तर प्रदेश में दलित समाज को न्याय मिल पाता है? क्यों हर बार प्रशासन पर ही सवाल खड़े होते हैं?
कब तक बचेगा समाज में भय का माहौल?
इस Lakhimpur Kheri घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि महिलाओं और दलितों की सुरक्षा को लेकर प्रदेश की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में है। कब तक नाबालिग लड़कियां यूं ही शिकार बनती रहेंगी? क्या कोई ठोस नीति बनेगी जो ऐसी घटनाओं को रोक सके?