निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप
प्रवर्तन निदेशालय ED की जांच के मुताबिक, डब्ल्यूटीसी फरीदाबाद और उससे जुड़ी अन्य कंपनियों ने निवेशकों से करीब 274 करोड़ रुपये की राशि वसूली थी। ये पैसा उन प्लॉट्स की बिक्री के नाम पर वसूला गया, जिनके लिए नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से कोई वैध लाइसेंस नहीं लिया गया था। ईडी का आरोप है कि इन फर्जीवाड़ों से प्राप्त राशि को दूसरी कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया गया और निजी हित में प्रयोग किया गया।
इस धन से संपत्तियां खरीदी गईं, निजी उपयोग किए गए, साथ ही बैंक से लिए गए कर्ज को चुकाया गया। इसी क्रम में ईडी ने डब्ल्यूटीसी समूह के प्रमोटर आशीष भल्ला को 6 मार्च को गिरफ्तार किया था।
159 एकड़ जमीन समेत अन्य संपत्तियां जब्त
EDने जिन संपत्तियों को जब्त किया है, उनमें 159 एकड़ जमीन शामिल है। इनमें कुछ पर आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए लाइसेंस लिया गया है, जबकि कुछ जमीनें अब भी खेतीहर श्रेणी में आती हैं।
जब्त संपत्तियों में नोएडा में स्थित बिना बिकी रियल एस्टेट इन्वेंट्री, गोवा में आवासीय भवन, और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वाणिज्यिक परिसर शामिल हैं। ये संपत्तियां या तो अभी भी निर्माणाधीन हैं या फिर इनका पूर्ण विकास नहीं हुआ है।
पीएमएलए के तहत सख्त कदम
ED ने इस पूरे मामले की जांच पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट), 2002 के तहत शुरू की थी। एजेंसी का मानना है कि डब्ल्यूटीसी समूह की विभिन्न इकाइयों ने निवेशकों को धोखे में रखकर अवैध रूप से संपत्ति अर्जित की और उससे मुनाफा कमाया।
ईडी की इस कार्रवाई से रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा संदेश गया है।