Alertness is the key to protection जब भी कोई खतरा हमारे आसपास मंडराने लगे, तो घबराने के बजाय समझदारी से काम लेना ही सबसे जरूरी होता है। खासतौर पर स्कूलों में, जहां हर बच्चा अनमोल होता है, वहां हर पल कीमती होता है। ऐसे में सावधानी बरतना ही जान बचाने का सबसे सही तरीका है।
अलार्म बजते ही उठाएं सही कदम
जैसे ही स्कूल में अलार्म बजे, सबसे पहले हर शिक्षक को बिना किसी डर के अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। क्लास की लाइट बंद करें, खिड़कियां और दरवाजे ठीक से बंद कर दें और पर्दे पूरी तरह खींच दें। बच्चों को या तो डेस्क के नीचे छिपने को कहें या दीवार के पास बैठने की सलाह दें, ताकि वे किसी खतरे से बचे रह सकें।
सभी जगह रखें नजर, हर बच्चा है जरूरी
शिक्षकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि स्कूल के गलियारे, खेल का मैदान और बाथरूम जैसी जगहें खाली हों और कोई बच्चा पीछे न रह जाए। सभी बच्चों को सुरक्षित जगह पर ले जाना प्राथमिकता होनी चाहिए। बड़े बच्चे अगर छोटे बच्चों की मदद करें, तो यह सहयोग और भी मजबूत हो जाता है।
टीचर्स की भूमिका सबसे अहम
ऐसे समय में शिक्षकों को खुद शांत और मजबूत बने रहना चाहिए क्योंकि बच्चों को उनकी मौजूदगी से सुरक्षा का एहसास होता है। एक इमरजेंसी किट हमेशा तैयार रखें जिसमें दवाइयां, टॉर्च, पानी और जरूरी सामान मौजूद हों। सभी कमरों का निरीक्षण करें और बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन दें।
बच्चों को भी दें सुरक्षा की सीख
बच्चों को अपने परिवार से भी इस तरह की परिस्थितियों की बात करनी चाहिए और बताना चाहिए कि उन्होंने स्कूल में क्या सीखा। जागरूकता ही सुरक्षा की पहली सीढ़ी होती है। रात के समय मोटे पर्दे या गहरे कपड़े खिड़कियों पर डालें ताकि अंदर की रोशनी बाहर न जा सके।
एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत
जब हालात तनावपूर्ण हों, तब डरने की बजाय मिलकर खड़े होना चाहिए। स्कूल का हर छात्र, हर शिक्षक एक साथ अगर खड़ा हो जाए, तो कोई भी ताकत उन्हें कमजोर नहीं कर सकती। साथ मिलकर काम करने से हम न केवल स्कूल की, बल्कि पूरे देश के भविष्य की रक्षा कर सकते हैं।