Indian Army Uniforms: सेना और अर्धसैनिक बलों में काम करने वाले जवानों की वर्दी सिर्फ उनकी पहचान नहीं होती, बल्कि यह बताती है कि वो किस तरह की ड्यूटी पर हैं। हर रंग, हर डिजाइन एक खास मकसद से चुना गया होता है। जैसे कि ऑपरेशन, सामान्य ड्यूटी, बॉर्डर सिक्योरिटी या फिर आतंकवाद विरोधी अभियान।
कर्नल सोफिया कुरैशी की वर्दी से क्या संदेश मिलता है?
कर्नल सोफिया कुरैशी की वर्दी का बदलाव इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने पहले दिन ऑलिव ग्रीन वर्दी पहनी थी, जो आमतौर पर ऑफिस या ट्रेनिंग जैसी ड्यूटी में पहनी जाती है। वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कॉम्बैट यूनिफॉर्म पहनी, जो युद्ध या ऑपरेशनल मिशन में इस्तेमाल होती है। इससे साफ पता चलता है कि वर्दी का चयन ड्यूटी की जरूरत के अनुसार होता है।
सेना की मुख्य वर्दियों की जानकारी
ऑलिव ग्रीन वर्दी (सामान्य ड्यूटी): यह वर्दी ऑफिस, ट्रेनिंग या शांतिपूर्ण हालातों में ड्यूटी के लिए पहनी जाती है। यह दिखने में साधारण होती है लेकिन अनुशासन और एकरूपता का प्रतीक है।
कॉम्बैट यूनिफॉर्म (कैमोफ्लैज): इसमें हरे, भूरे और काले रंग का मिश्रण होता है। इसका मकसद है जवान को जंगल या युद्ध क्षेत्र में छुपाए रखना। यह वर्दी ऑपरेशनल ड्यूटी में पहनी जाती है।
हाई एल्टीट्यूड यूनिफॉर्म: बर्फीले और बहुत ऊंचाई वाले इलाकों जैसे सियाचिन में जवान थर्मल वर्दी पहनते हैं, जो उन्हें ठंड से बचाती है और मूवमेंट में सहायक होती है।
रेगिस्तानी वर्दी: राजस्थान जैसे इलाकों में हल्के भूरे या रेत जैसे रंग की वर्दी इस्तेमाल होती है, ताकि जवान वातावरण में घुल-मिल जाएं।
काउंटर-इंसर्जेंसी यूनिफॉर्म: यह वर्दी हल्की और आरामदायक होती है, जिससे जवान तेजी से मूव कर सकें। यह खासकर आतंकवाद-रोधी मिशनों में इस्तेमाल होती है।
अर्धसैनिक बलों की खास यूनिफॉर्म
ITBP (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस)
हिमालयी इलाकों में तैनात ITBP जवानों की वर्दी मौसम के अनुसार बदलती है। इनकी वर्दी मजबूत और ठंड में गर्म रखने वाली होती है।
CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल)
यह बल एयरपोर्ट, मेट्रो और औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा करता है। इनकी वर्दी नीली या खाकी रंग की होती है, जो प्रोफेशनल लुक देती है।
RAF (रैपिड एक्शन फोर्स)
इनकी नीली वर्दी पर सफेद पैटर्न होता है और यह खासकर दंगा नियंत्रण व भीड़ संभालने के लिए होती है।
क्यों जरूरी है वर्दी बदलना?
हर जगह एक जैसी वर्दी नहीं पहनी जा सकती। मौसम, जगह और ड्यूटी की जरूरत के हिसाब से वर्दी का रंग और डिजाइन बदला जाता है। चाहे वो युद्ध हो, बॉर्डर की निगरानी या ऑफिस ड्यूटी हर यूनिफॉर्म की अपनी अहमियत होती है।