Yusuf Pathan controversy: भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में जब TMC ने भाग लेने से इनकार किया, तो राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। खासकर तब, जब पूर्व क्रिकेटर और TMC सांसद Yusuf Pathan को इंडोनेशिया-मलेशिया जैसे देशों के दौरे वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया था। 18 मई 2025 को अचानक TMC ने घोषणा की कि उसका कोई भी सांसद इस सर्वदलीय दल का हिस्सा नहीं बनेगा। हालांकि, पार्टी ने केंद्र की विदेश नीति को तर्क बताया, लेकिन कई विश्लेषकों और सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाया — क्या यह सिर्फ कूटनीतिक दूरी है या यूसुफ पठान के इनकार के पीछे कुछ और छिपा है?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सर्वदलीय प्रयास में TMC की दूरी
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत PoK में आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की। भारत ने इस सैन्य प्रतिक्रिया को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखने के लिए 32 देशों में 7 सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को भेजने की घोषणा की।
तीसरे प्रतिनिधिमंडल में TMC के Yusuf Pathan को शामिल किया गया था, जिसे इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान और सिंगापुर जैसे देशों का दौरा करना था। पर 18 मई को अचानक TMC ने बयान जारी कर कहा कि वह इस दौरे का हिस्सा नहीं बनेगी।
सिर्फ नीति या व्यक्तिगत असहमति?
TMC के आधिकारिक बयान में कहा गया कि विदेश नीति पूरी तरह केंद्र सरकार का विषय है और उसे ही इसका नेतृत्व करना चाहिए। पार्टी ने देश की रक्षा को सर्वोपरि बताया और सशस्त्र बलों के प्रति समर्थन जताया।
लेकिन जिस तरह से पार्टी ने न तो यूसुफ पठान के नाम की पुष्टि की, न ही इनकार की वजह साफ की — इससे कई राजनीतिक संकेत और सवाल उठे हैं। क्या यूसुफ पठान इस प्रतिनिधिमंडल में जाने को तैयार नहीं थे? या फिर पार्टी में इसको लेकर मतभेद था?
एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, “ऐसे समय जब सरकार ने विपक्ष को भी साथ लिया है, TMC का इससे अलग होना सामूहिक प्रयास की भावना के खिलाफ जाता है।”
सोशल मीडिया पर आलोचना और समर्थन
X (पूर्व ट्विटर) पर कई यूजर्स ने ममता बनर्जी और Yusuf Pathan को आड़े हाथों लिया। एक पोस्ट में लिखा गया, “ममता को समझना चाहिए कि भारत के खिलाफ जाकर कोई राजनीति नहीं टिकती। पठान को क्या समस्या थी देश की छवि को सुधारने वाले दौरे से?”
हालांकि कुछ यूजर्स ने TMC के फैसले का समर्थन करते हुए इसे “संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहने की कोशिश” बताया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ जहां भारत की वैश्विक रणनीतिक बढ़त को दर्शाता है, वहीं TMC और यूसुफ पठान से जुड़ा यह विवाद इस प्रयास की एक उलझनभरी कड़ी बन गया है। भले ही TMC ने अपनी मंशा साफ कर दी हो, लेकिन राजनीतिक पंडितों और सोशल मीडिया पर इस सवाल की गूंज जारी है — क्या यूसुफ पठान ने TMC लाइन के तहत इनकार किया या इसके पीछे कोई व्यक्तिगत या अंतरराष्ट्रीय कारण भी है?