Palitana India’s Pure Vegetarian City : भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर राज्य और शहर की अपनी अलग पहचान और स्वाद होता है। कहीं डोसा का स्वाद है तो कहीं सरसों दा साग और मक्की दी रोटी का मज़ा। बंगाल में माछ-भात पसंद किया जाता है तो बिहार में लिट्टी-चोखा, और राजस्थान में दाल-बाटी-चूरमा का स्वाद लोगों को खूब भाता है। यहां हर कोई एक-दूसरे की पसंद और खाने की संस्कृति का आदर करता है। लेकिन भारत में एक ऐसा शहर भी है जहाँ मांस, मछली और अंडे खाना तो दूर, इन्हें बेचना भी पूरी तरह से बैन है। यह अनोखा शहर है पलिताना, जो गुजरात के भावनगर जिले में स्थित है।
कैसे बना पलिताना शाकाहारी शहर?
साल 2014 में पलिताना में कुछ ऐसा हुआ जिससे यह शहर पूरी तरह शाकाहारी बन गया। करीब 200 जैन साधुओं ने यहां भूख हड़ताल शुरू कर दी। उनका कहना था कि पलिताना एक पवित्र तीर्थ स्थल है और यहां मांस बेचना गलत है।
जैन धर्म में अहिंसा सबसे बड़ा सिद्धांत माना जाता है। साधुओं का मानना था कि जहाँ मंदिर हों, वहाँ मांस की दुकानें नहीं होनी चाहिए। वे शांतिपूर्वक अपनी मांग पर टिके रहे और आखिरकार सरकार ने उनकी बात मान ली। इसके बाद शहर में मांस, मछली और अंडे की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई।
शहर बना शाकाहारियों का स्वर्ग
सरकार के इस फैसले के बाद पलिताना की लगभग 250 मांस की दुकानें बंद कर दी गईं। यहां अब न तो मांस मिलता है, न मछली और न ही अंडे। साथ ही पशु वध, मछली पकड़ना और पोल्ट्री फार्मिंग (मुर्गी पालन) भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इस वजह से पलिताना को आज एक शुद्ध शाकाहारी शहर और शाकाहार प्रेमियों का स्वर्ग कहा जाने लगा है।
क्या लोगों को कोई दिक्कत हुई?
अक्सर ऐसा लगता है कि अगर मांसाहार बंद हो जाए तो लोगों को परेशानी होगी। लेकिन पलिताना के लोगों ने इसे दिल से स्वीकार किया। यहां अब स्वादिष्ट गुजराती और जैन शाकाहारी खाना आसानी से मिल जाता है।
यहां आने वाले लोग अब सिर्फ मंदिरों में दर्शन के लिए ही नहीं, शुद्ध शाकाहारी खाने का मज़ा लेने भी आते हैं। शाकाहारी रेस्टोरेंट्स बढ़े हैं और इसके साथ-साथ टूरिज़्म भी बढ़ा है।
पलिताना एक ऐसा शहर है जहाँ शुद्ध शाकाहारी जीवनशैली को अपनाकर इसे दुनिया के सामने मिसाल बना दिया गया है। यह अब आस्था और स्वाद दोनों का केंद्र बन चुका है।