UP teachers transfer 2025: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के 21000 से अधिक शिक्षक ट्रांसफर प्रक्रिया से बाहर हैं, जिससे उन्हें बार-बार निराशा का सामना करना पड़ रहा है। इन शिक्षकों की तैनाती राज्य के 8 आकांक्षी जिलों—सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, चित्रकूट, चंदौली, श्रावस्ती, सोनभद्र और फतेहपुर—में है। सरकार की नीति के अनुसार, इन पिछड़े जिलों से शिक्षक तभी UP teachers ट्रांसफर हो सकते हैं जब कोई अन्य UP teachers वहां जाने को तैयार हो, लेकिन ऐसा कोई नहीं है। नतीजा यह है कि ना तो इन जिलों में नए शिक्षक आ रहे हैं और ना ही वहां तैनात शिक्षक अन्यत्र जा पा रहे हैं। लंबे समय से काम कर रहे शिक्षक अब सरकार से समायोजन और ट्रांसफर की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं।
ट्रांसफर प्रक्रिया अधर में, शिक्षक परेशान
UP teachers में 29 मई से शिक्षकों के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू होनी थी, लेकिन 8 आकांक्षी जिलों में तैनात शिक्षकों के लिए यह प्रक्रिया बार-बार अधर में अटक रही है। इन जिलों में काम कर रहे शिक्षक तब तक ट्रांसफर नहीं हो सकते जब तक किसी अन्य जिले का शिक्षक वहां आने को तैयार न हो। दुर्भाग्य से, इन जिलों की पिछड़ी छवि के चलते कोई भी वहां स्थानांतरण नहीं चाहता। खुद इन जिलों से ताल्लुक रखने वाले UP teachers, जो किसी अन्य जिले में तैनात हैं, वे भी वापसी नहीं चाहते। इस वजह से ट्रांसफर नीति का संतुलन बिगड़ गया है और हजारों शिक्षक सालों से फंसे हुए हैं।
सरकार की नीति बनी सबसे बड़ी बाधा
सरकार ने 2018 में इन 8 जिलों को आकांक्षी घोषित करते हुए यहां के शिक्षकों का ट्रांसफर 5 वर्षों के लिए रोक दिया था ताकि शिक्षा व्यवस्था को सशक्त किया जा सके। लेकिन अब 5 साल से अधिक का समय बीत चुका है, फिर भी इन शिक्षकों को ट्रांसफर की अनुमति नहीं मिली है। बेसिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु मोहन का कहना है कि जब तक इन जिलों में शिक्षक नहीं भेजे जाते, तब तक यहां के शिक्षक बाहर नहीं जा सकते। इससे इन जिलों की शिक्षा व्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है और शिक्षकों में असंतोष बढ़ रहा है।
21000 शिक्षक प्रभावित, मुख्यमंत्री से लगाई गुहार
बेसिक शिक्षक एवं प्रशिक्षित स्नातक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि इन जिलों में 21000 से अधिक शिक्षक ट्रांसफर की प्रक्रिया से वंचित हैं। कई शिक्षक ऐसे हैं जो बीस वर्षों से एक ही जिले में सेवाएं दे रहे हैं। फिर भी उन्हें एक बार ट्रांसफर का अवसर नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संगठन कई बार शिक्षा विभाग से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी मांग पहुँचा चुका है, परंतु हर बार सिर्फ विचार करने का आश्वासन मिलता है। अब शिक्षक चाहते हैं कि सरकार आकांक्षी जिलों की नीति की पुन: समीक्षा करे और ट्रांसफर प्रक्रिया में लचीलापन लाया जाए।