लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। मुख्तार अंसारी के बेटे व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी को नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले में मऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट ने दोषी पाया और दो साल की सजा सुनाई है। अब्बास अंसारी के खिलाफ पुलिस ने 2022 में एफआईआर दर्ज की थी। तब एक जनसभा के दौरान अब्बास ने अधिकारियों को हिसाब-किताब करने और सबक सिखाने की धमकी दी थी। पुलिस ने अरेस्ट कर जेल भेजा था। कोर्ट ने अब्बास को दोषी पाया। इसी के साथ अब्बास अंसारी की विधायकी भी रद्द हो गई है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, यह मामला 3 मार्च 2022 का है, जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी ने मऊ के पहाड़पुर मैदान में आयोजित एक जनसभा में सरकार बनने पर अधिकारियों को ’ठीक से देख लेने’ की धमकी दी थी। जनसभा के दौरान अब्बास ने कहा था कि किसी का ट्रांसफर नहीं होगा। सबका हिसाब-किताब यहीं पर होगा। इस भड़काऊ बयान का जमकर विरोध हुआ। जिस पर मऊ कोतवाली के तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद ने अब्बास अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। अब्बास अंसारी पर आईपीसी 6 धाराओं पर केस रजिस्टर्ड किया गया।
रद्द हो गई विधायकी
केस की सुनवाई मऊ के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारीडॉ. केपी सिंह की कोर्ट में चल रही थी, जिसने अब अब्बास अंसारी को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने अब्बास अंसारी को दो साल का सजा के साथ अर्थदंड भी लगाया है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि अब्बास अंसारी न केवल पूर्व बाहुबली सांसद मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, बल्कि वर्तमान में मऊ सदर सीट से विधायक भी हैं. सजा के ऐलान होते ही विधायकी भी खत्म हो गई है। इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष नोटिफिकेशन जारी करेंगे। नोटिफिकेशन में आज की तारीख से सदस्यता रद्द होने का जिक्र रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह दिशानिर्देश जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) निरस्त कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने प्रत्याशियों को एक राहत जरूर दी है। जिसके तहत अगर सदस्य फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाता और फैसला पक्ष में आता है तो सदस्यता स्वतः ही वापस हो जाती है। अब्बास के चचा अफजाल अंसारी को भी निचली अदालत से सजा हुई थी। जिसके खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट गए थे, जहां से उन्हें राहत मिली थी।
विरासत में मिली निशानेबाजी
यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी के बारे में पूर्वांचल में एक बात काफी चर्चित रही है। वाराणसी, मऊ और गाजीपुर के इलाके में कहा जाता है कि वह पक्के निशानेबाज थे और उड़ती चिड़िया पर भी सटीक निशाना लगा सकते थे। उनके बेटे अब्बास अंसारी को अपने पिता से यह खासियत विरासत में मिली। अब्बास शॉटगन शूटिंग के इंटरनैशनल खिलाड़ी रहे हैं। दुनिया के टॉप शूटर्स में भी उनका नाम था। वह कई चैंपियनशिप में मेडल जीत चुके हैं। 2013 में 55वीं नैशनल शूटिंग चैंपियनशिप की स्कीट स्पर्धा के जूनियर वर्ग में अब्बास ने गोल्ड मेडल जीता था। तब अब्बास ने कहा था कि उनका मुख्य लक्ष्य 2016 में रियो ओलिंपिक में गोल्ड पर निशाना लगाना है।
2017 में लड़ा था पहला चुनाव
दिल्ली यूनिवर्सिटी से अब्बास अंसारी ने बीकॉम ऑनर्स की डिग्री ली है। पहले वह परिवार की पार्टी कौमी एकता दल में सक्रिय हुए। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कौमी एकता दल के बीच विलय पर बात नहीं बनने के बाद मुख्तार के परिवार ने बीएसपी का दामन थामा। अब्बास को घोसी विधानसभा सीट से टिकट मिला लेकिन शूटिंग में गोल्ड से आगाज करने वाले अब्बास की सियासी पारी की शुरुआत हार से हुई। चुनाव में मिली हार के बाद अब्बास फिर खेल की तरफ नहीं देखा। वह सियासी मैदान पर उतर गए और 2022 में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक चुने गए।
जानें अंसारी परिवार के बारे में
मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष थे। मुख्तार अंसारी भी मऊ सीट से विधायक रहे है। जबकि उनके बड़े भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर लोकसभा सीट से सपा सांसद हैं। जबकि अब्बास के चचेरे भाई भी सपा से विधायक हैं। मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी हैं। छोटे बेटे का नाम उमर अंसारी है। मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। अब्बास पर फिलहाल कई मुकदमे दर्ज हैं। अब्बास की पत्नी भी एक केस में कई माह तक जेल में रहीं। जबकि अब्बास की मां फरार चल रही हैं और उन पर 50 हजार का इनाम भी पुलिस ने रखा हुआ है।