Prakash Shah spiritual journey: कभी रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी दिग्गज कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट रहे प्रकाश शाह को कॉरपोरेट जगत में मुकेश अंबानी का भरोसेमंद सहयोगी माना जाता था। करोड़ों की सैलरी, बड़ी जिम्मेदारियां और शानदार जीवनशैली के बीच उन्होंने जो फैसला लिया, वह बहुत लोगों को चौंकाने वाला था। 63 साल की उम्र में प्रकाश शाह ने कॉरपोरेट करियर को अलविदा कहा और अपनी पत्नी नाइना शाह के साथ दीक्षा लेकर साधु जीवन अपना लिया।
कोविड के चलते टली थी दीक्षा की योजना
शाह दंपत्ति का मन तो पहले ही दीक्षा लेने का बना चुका था, लेकिन कोविड महामारी के दौरान इसे टालना पड़ा। जैन धर्म में दीक्षा का मतलब है सांसारिक मोह-माया को छोड़कर संयम और साधना के रास्ते पर चलना। दीक्षा लेने के बाद व्यक्ति केवल पुण्य के मार्ग पर चलता है और मोक्ष की ओर बढ़ता है।
कौन हैं प्रकाश शाह?
प्रकाश शाह ने केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद IIT बॉम्बे से पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। उनकी पत्नी नाइना शाह कॉमर्स ग्रेजुएट हैं। उनके दो बेटे हैं। दिलचस्प बात ये है कि उनके बड़े बेटे ने सात साल पहले ही दीक्षा ले ली थी और अब वह ‘भुवन जीत महाराज’ के नाम से जाने जाते हैं। छोटा बेटा शादीशुदा है और एक बच्चे का पिता भी है।
कॉरपोरेट करियर में निभाई अहम भूमिकाएं
प्रकाश शाह ने रिलायंस इंडस्ट्रीज में कई बड़े प्रोजेक्ट्स की अगुवाई की, जिनमें जामनगर का पेटकोक गैसीफिकेशन प्रोजेक्ट और मार्केटिंग विभाग की जिम्मेदारी शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिटायरमेंट के वक्त उनकी सालाना सैलरी करीब 75 करोड़ रुपये थी।
अब जी रहे हैं संन्यासी जीवन
अब 64 साल की उम्र में उन्होंने जैन साधु के रूप में नया जीवन शुरू किया है। उन्होंने पूरी तरह से सादगी और संयम को अपनाते हुए नंगे पांव चलना, सफेद वस्त्र पहनना और भिक्षा पर जीवनयापन करना शुरू कर दिया है। उनकी दीक्षा मुंबई के बोरीवली में आयोजित एक समारोह में पूरी विधि-विधान से संपन्न हुई।
आध्यात्मिक सुख की तुलना किसी चीज़ से नहीं
प्रकाश शाह का कहना है, “बचपन से ही मन में दीक्षा लेने की इच्छा थी। जो मानसिक शांति और आत्मिक सुख इससे मिलता है, वो दुनिया की किसी भी चीज़ से नहीं मिल सकता।”
जहां ज़्यादातर लोग रिटायरमेंट के बाद सैर-सपाटे, ऐशो-आराम और विदेश यात्राओं की सोचते हैं, वहीं शाह दंपत्ति ने करोड़ों की संपत्ति और सुविधाएं छोड़कर संयम और साधना का रास्ता चुना।