Axiom-4 : लंबे इंतज़ार और कई बार टलने के बाद अब वो ऐतिहासिक पल आ गया है जिसका हर भारतवासी बेसब्री से इंतजार कर रहा था। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज AXIOM-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होने वाले हैं। यह मिशन 25 जून को नासा के केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्चपैड 39A से रवाना होगा।
लॉन्चिंग का समय और टेक्नोलॉजी
AXIOM-4 मिशन भारतीय समयानुसार 25 जून को दोपहर 12:01 बजे लॉन्च होगा। इस उड़ान में स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट और एक बिल्कुल नया ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट प्रयोग में लाया जा रहा है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो यह यान 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे ISS से डॉक करेगा।
स्पेसएक्स ने अपने आधिकारिक “X” (पूर्व ट्विटर) हैंडल से जानकारी दी है कि मिशन के सभी तकनीकी सिस्टम पूरी तरह से तैयार हैं और मौसम भी 90% अनुकूल है।
भारत के लिए क्यों खास है AXIOM-4 ?
AXIOM-4 मिशन भारत के लिए इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि इसमें भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को बतौर पायलट शामिल किया गया है। यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि इस मिशन के ज़रिए भारत 40 वर्षों के बाद एक बार फिर से मानव अंतरिक्ष उड़ान में हिस्सा ले रहा है — और वो भी निजी अंतरिक्ष यात्रा कार्यक्रम के अंतर्गत।
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कौन हैं AXIOM-4 मिशन के अन्य यात्री?
AXIOM-4 मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं:
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शुभांशु शुक्ला (भारत) – मिशन पायलट
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पैगी व्हिटसन (अमेरिका) – मिशन कमांडर, पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री और AXIOM स्पेस की मानव उड़ान निदेशक
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स्लावोश उजनांस्की-विस्निएव्स्की (पोलैंड) – मिशन विशेषज्ञ
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टिबोर कपु (हंगरी) – मिशन विशेषज्ञ
इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों का मुख्य उद्देश्य ISS पर रहकर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग और अनुसंधान गतिविधियाँ अंजाम देना है। ये प्रयोग 31 देशों के वैज्ञानिक एजेंसियों और अनुसंधान संस्थानों से जुड़े होंगे, जिनमें भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, ब्राजील, नाइजीरिया, संयुक्त अरब अमीरात, और यूरोपीय देश शामिल हैं।
क्या है AXIOM-4 मिशन की खासियत?
AXIOM-4 एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जिसे NASA, AXIOM Space और SpaceX की साझेदारी में अंजाम दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य है निजी अंतरिक्ष उड़ानों के ज़रिए वैज्ञानिक शोध और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
यह मिशन न केवल भारत, बल्कि पोलैंड और हंगरी के लिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि इन तीनों देशों की यह दूसरी मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी, और पहली बार ये तीनों एक साथ किसी अंतरराष्ट्रीय मिशन का हिस्सा बन रहे हैं।