Nipah Virus Scare in Kerala Again: केरल में एक बार फिर निपाह वायरस का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, दो लोगों में इस खतरनाक वायरस के लक्षण दिखने के बाद शुक्रवार को राज्य के तीन जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया। इससे पहले भी केरल में कई बार इस वायरस का प्रकोप देखा जा चुका है। इन नए मामलों के सामने आने से लोग फिर से डर और चिंता में हैं।
कोझीकोड, मलप्पुरम और पलक्कड़ जिलों के सरकारी अस्पतालों में जांच के दौरान इन मामलों का पता चला। दोनों मरीजों के सैंपल टेस्ट के लिए भेजे गए हैं और स्थिति पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने आपात बैठक की। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि निपाह वायरस से बचाव के लिए सभी जरूरी कदम पहले ही उठा लिए गए हैं।
26 टीमें मैदान में, कांटैक्ट ट्रेसिंग जारी
सरकार ने संक्रमण पर रोक लगाने के लिए 26 विशेष टीमों को तैनात किया है। ये टीमें मरीजों के संपर्क में आए लोगों की पहचान कर रही हैं और लोगों को बीमारी के लक्षणों के बारे में जागरूक कर रही हैं। पुलिस की मदद से उन लोगों की जानकारी जुटाई जा रही है जो मरीजों के संपर्क में आए होंगे। जिलों के कलेक्टरों को कंटेनमेंट जोन बनाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
स्वास्थ्य विभाग यह भी जांच कर रहा है कि हाल के दिनों में किसी इलाके में अचानक या बिना वजह हुई मौतों का निपाह से कोई संबंध है या नहीं।
पहले भी केरल में दिखा निपाह का असर
केरल में निपाह वायरस कोई नया खतरा नहीं है। मई में मलप्पुरम जिले में 42 साल की महिला में निपाह संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इससे पहले सितंबर 2024 में 24 साल के युवक और जुलाई 2024 में 14 साल के बच्चे की निपाह से मौत हो चुकी है।
चमगादड़ से फैलता है यह जानलेवा वायरस
निपाह वायरस के फैलने का मुख्य कारण चमगादड़ माने जाते हैं। संक्रमित चमगादड़ों द्वारा दूषित किए गए फलों या खाने के जरिए यह वायरस इंसानों में पहुंचता है। यह बीमारी इंसान से इंसान में भी फैल सकती है। चिंता की बात यह है कि इसकी मृत्यु दर 45 से 75 प्रतिशत तक बताई जाती है, जो कोरोना से भी ज्यादा है। इस वायरस का अभी तक कोई खास इलाज या टीका नहीं है। हालांकि कुछ मामलों में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से इलाज में फायदा देखा गया है।
गंभीर मामलों में हो सकती है ब्रेन इंफेक्शन
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि निपाह वायरस से संक्रमित लोगों में मस्तिष्क की सूजन यानी इंसेफेलाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। इससे कोमा और मौत का खतरा रहता है। लोगों को सलाह दी जाती है कि फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाएं और चमगादड़ या पक्षियों द्वारा कटा हुआ फल न खाएं।